लाइव हिंदी खबर :-हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र माने जाने वाले पितृ पक्ष की शुरूआत 25 सितंबर से हो चुकी है। अपने पितरों को याद करते हुए लोग इस पक्ष में श्राद्ध के साथ दान और पुण्य करते हैं। मान्यता है कि इस पक्ष में अपने पितरों के लिए की गई इस सेवा से वह खुश होते हैं और अपना आशिर्वाद घर पर बनाए रखते हैं। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में आप कभी भी अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर सकते हैं मगर कुछ ऐसे भी जिक्र मिलते है जिनसे ये बात सामने आती है कि पितृ पक्ष के चतुर्दशी तिथी को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। आप भी जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता।
महाभारत में मिलता है जिक्र
महाभारत के अनुसार पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन सिर्फ उन लोगों का ही श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु अकाल मौत से हुई हो। यानी किसी दुर्घटना या अन्य तरीके से मौत हुई हो। इस बार चतु र्दशी तिथि 7 अक्टूबर को पड़ रही है।
होते हैं प्रसन्न
मान्यता है कि अकाल मौत यानी दुर्घटना, आत्महत्या या किसी अन्य कारण से जिन पितरों की मौत होती है उसका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से पितर प्रसन्न होते हैं। अगर आपके पितरों की मौत भी समय से पहले और अकाल मौत हुई हो तो आप पितर पक्ष के चतुर्दशी को उनका श्राद्ध कर सकते हैं। मगर आपके पितरों की मौत यदि सामान्य तरीके से हुई हो तो भूलकर भी चतुर्दशी के दिन उनका श्राद्ध ना करें।
करना पड़ सकता है कई मुसीबतों का सामना
महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि जो लोग अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो सकती है। उन्हें बहुत सी मुसीबतों का सामना भी करना पड़ सकता है। इस तिथि को उन्हीं पितरों का श्राद्ध करना चाहिए जिनकी मौत स्वाभाविक रूप से ना होकर अकाल रूप में हुई हो।
अयोग्य संतान की होती है प्राप्ति
कर्मपुराण के अनुसार पितृ पक्ष के चतुर्दशी को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने से अयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। सिर्फ यही नहीं याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार भी इस तिथि को श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को भविष्य भी खराब हो सकता है। उसे कई तरह के विवादों का सामना करना पड़ सकता है।