लाइव हिंदी खबर :-तिलोत्तमा की सुंदरता का कई कथाएं पुराणों में सुनते आए है। तिलोत्तमा 108 अप्सराओं में स्वर्ग की परम सुंदर अप्सरा थीं। इसकी सृष्टि के लिए ब्रह्माजी ने संसार की सभी सुंदर वस्तुओं से छोटी-छोटी कण लिए थे। कहा जाता है कि तिलोत्तमा का जन्म ब्रह्मा के हवनकुंड से हुआ था। पुरणों में सुनी कई कथाओं में से तिलोत्तमा की एक रोचक कथा आपको बताने जा रहे हैं।
कश्यप ऋषि के दो प्रमुख पुत्र थे हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्क्ष। हिरण्यकशिपु के वंश में निकुंभ नामक एक असुर उत्पन्न हुआ था, जिसके सुन्द और उपसुन्द नामक दो पराक्रमी पुत्र थे। यह दोनों पुत्र बड़े ही शक्तिशाली थे। इनकी शक्ति तब और बढ़ गई थी जब इन्होंने त्रिलोक्य विजय की इच्छा से विन्ध्यांचल पर्वत पर घोर तप किया। उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उन्हें वर मांगने का कहा। दोनों अनुसार ने ब्रह्माजी से अमरत्व का वर मांग लिया। लेकिन ब्रह्माजी ने इसे देने से इनकार कर दिया। ब्रह्माजी के इनकार करने के बाद दोनों भाइ कुछ और मांगने के बारे में सोचने लगे। दोनों ने आपस में सोच विचार करने के बाद निर्णय लिया की वे दोनों आपस में कभी नहीं लड़ते है, हमेशा प्रेम से रहते हैं और दोनों में बहुत प्रेम भी हैं। और दोनों ही पूर्ण रुप में आश्वस्थ थे के वे आपस में कभी नहीं लड़ेंगे और ना कभी एक दूसरे के खिलाफ होंगे, बस यही सोच कर उन्होंने ब्रह्माजी से कहा कि उन्हें ऐसा चोहिए जिसमें उन्हे एक-दूसरे को छोड़कर त्रिलोक में उन्हें कोई भी नहीं मार सके। ब्रह्माजी ने तथास्तु कहकर उन्हे वरदान दे दिया।
ब्रह्मा से वरदान पाकर सुन्द और उपसुन्द ने त्रिलोक्य में अत्याचारों करने शुरू कर दिए जिसके चलते सभी ओर हाहाकार मच गया। सभी देवी और देवता देवलोक, इंद्रलोक से भाग खड़े हुए और सुन्द एवं उपसुन्न के अत्याचार और बढ़ने लगे। ऐसी विकट स्थिति जानकर ब्रह्मा ने दोनों भाइयों को आपस में लड़वाने के लिए तिलोत्तमा नाम की अप्सरा की सृष्टि की।
तत्पश्चात तिलोत्तमा ने सुन्द और उपसुन्द के निवास स्थान विन्ध्य पर्वत की ओर प्रस्थान किया। एक दिन तिलोत्तमा को दोनों भाइयों ने टहलते हुए और गाते हुए देखा और दोनों ही उसे देखकर मोहित हो गए। जब उन्होंने सुध संभाली तब सुन्द ने उपसुन्द से कहा कि यह अप्सरा आज से मेरी पत्नी हुई। यह सुनते ही उपसुन्द भड़क गया और उसने कहा नहीं तुम अकेले ही यह निर्णय कैसे ले सकते हो। पहले इसे मैंने देखा है इसलिए यह मेरी पत्नी बनेगी। बस इसके बाद से ही दोनों भाईयों में विवाद होने लगा। वही दोनों भाई जो बचपन से ही एक दूसरे के लिए जान देने के लिए तैयार रहते थे अब वे एक दूसरे की जान लेने के लिए लड़ने लगे। बहुत समय तक उनमें लड़ाई चली और आखिर में दोनों ने एक दूसरे को मार दिया।