लाइव हिंदी खबर :- हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी होती है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है और व्रत उपवास रखा जाता है। भैरव देवता शिव के अवतार माने जाते हैं। तांत्रिकों के अनुसार कालभैरव अष्टमी के दिन तंत्र-मंत्र साधना के लिये बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार भगवान भैरव की साधना करने वाले भक्त पर कोई बाधा, ऊपरी हवा या भूत-प्रेत हावी नहीं हो सकता और ना ही कभी उसे किसी प्रकार का नुकसान कोई पहुंचा सकता है।
भैरव श्मशानवासी और भूत-प्रेत, योगिनियों के स्वामी माने जाते हैं। भैरव देवता अपने भक्तों पर सदैव ही कृपावान रहते हैं। रविवार एवं बुधवार को भैरव की उपासना का दिन माना गया है। भगवान काल भैरव अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर बल, बुद्धि, तेज, यश, धन तथा मुक्ति प्रदान करते हैं। काल भैरव अष्टमी के दिन क्या करना माना जाता है शुभ-
इस दिन इस चमत्कारी भैरव मंत्र का करें जप-
‘ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं’।
– काल भैरव अष्टमी के दिन कुत्ते को मिठाई खिलायें और दूध जरुर पिलायें।
– काल भैरव अष्टमी के दिन श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ करें।
– भैरव की प्रसन्नता के लिए श्री बटुक भैरव मूल मंत्र का पाठ करना शुभ होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार
पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन श्रेष्ठ है, इस बात को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। विवाद के समाधान के लिए दोनों सभी देवता और ऋषि मुनियों समेत शिव जी के पास पहुंचे। वहां पहुंच कर सभी को लगा कि सर्वश्रेष्ठ तो शिव जी ही हैं। इस बात से भगवान ब्रह्मा सहमत नहीं थे, वे क्रोध में आकर शिव जी का अपमान करने लगे। उनकी बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया, जिसके परिणाम स्वरूप कालभैरव का जन्म हुआ।