लाइव हिंदी खबर :-महाभारत के दौरान जब श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया तब उन्होंने परमात्मा से जुड़ने का सर्वोत्तम माध्यम राजयोग बताते हुए कहा था कि “हे अर्जुन तुम्हें ज्यादा कर्मकांड क रने की आवश्यकता नहीं बल्कि अपने मन से मुझे याद करो, ध्यान के माध्यम से मेरे करीब आओ।”
ध्यान प्रभु को करीब से देखने का अवसर देता है। कहते हैं पूरे मनोयोग से ध्यान किया जाए तो मन की कई सोई हुई शक्तियां भी जागृत हो उठती हैं। यही वजह है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि भी ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए ध्यान का ही सहारा लेते थे। आज ध्यान मन की सफाई और सुकून पाने का माध्यम माना जाता है।
मनुष्य शरीर के आवरण में एक अजर-अमर अविनाशी आत्मा उसकी असली पहचान है। प्रेम, शांति, आनंद, पवित्रता, सद्भावना और सच्चा सुख ये सब आत्मा की शक्तियां हैं। जब मनुष्य शरीर में होता है तो वह उसी सुख और शांति की तलाश करता है जो उसके अपने व्यक्तिगत गुण हैं। परन्तु यह मिलती नहीं है क्योंकि हम उसे दूसरे साधनों में ढूंढ़ते हैं। सच्चा सुख व सच्ची शांति तभी मिलेगी, जब हम उसे सही स्थान और सही स्रोत से ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे। राजयोग शांति और सच्चा सुख पाने का रास्ता है।
राजयोग के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मिक स्थिति में स्थित रहते हुए वास्तविक स्वरूप में परमात्मा के साथ जुड़ जाता है, जिससे उसके अंदर शांति, आनंद और प्रेम की सरिता बह निकलती है। ऎसा व्यक्ति कहीं भी जाएगा तो उसके संकल्पों, अच्छाइयों और सद्व्यवहार का गुण हर किसी को स्वत: दिखने लगेगा। उसे दिखाने की आवश्यकता अर्थात बताने की भी जरूरत नहीं होगी क्योंकि कोई भी फूल अपनी खुशबू स्वयं नहीं बेचता, बल्कि जैसे ही वह खिल जाता है, सुगंध हवाओं के साथ बह निकलती है और हर किसी को अपनी सुगन्घित प्रवाह का आभास कराती है। वास्तव में शांति और सुख कोई ऎसी वस्तु नहीं है कि कहीं से खरीदी जा सके। इन्हें तो किसी से मांगकर भी नहीं प्राप्त किया जा सकता। इसके लिए आंतरिक स्तर पर एक धीमी पहल की जरूरत होती है। धीरे-धीरे जैसे ही यह अपने वास्तविक रूप में आती है तो मन की सारी शक्तियां अपनी सही दिशा में कार्य करने लगती हैं और उसका प्रभाव कार्यस्थल पर सहज ही दिखाई देने लगता है।
आत्मा से परमात्मा का मिलन
मैंसौ साल की हो चुकी हूं। राजयोग मेडिटेशन ने हमें परमात्मा के इतना करीब ला दिया है कि हमारे सामने दुनिया की कोई भी समस्या छोटी लगती है। मैं राजयोग के जरिए परमात्मा और आंतरिक शक्तियों से जुड़ने की कोशिश करती हूं। सही मायने में यही योग आज के समय के लिए जरूरी है। जिससे मनुष्य अंदर से इतना शक्तिशाली बन जाए कि बाहरी माहौल का उस पर कोई प्रभाव न होने पाए।
शांति का प्रवाह और योग
यूंतो समाज में कई प्रकार के योग हैं, कुछ शारीरिक स्थिति को स्वस्थ रखते हैं, कुछ आध्यात्मिक क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करने के लिए करते हैं तो कुछ अपने-अपने तरीके से परमात्मा से जोड़ने के लिए मार्ग प्रेषित करते हैं। हम जब भी अपने कार्य-व्यवहार, घर-परिवार, बच्चों एवं कार्यस्थल पर होते हैं तो उस समय हमारी ऊर्जा लगातार समाप्त होती रहती है। ऊर्जा अर्जित करने का कोई ऎसा साधन नहीं है, जिससे शारीरिक ऊर्जा के साथ मानसिक ऊर्जा मिल सके। ऎसे में एक मिनट का राजयोग मेडिटेशन कई घंटों के लिए स्फूर्ति और ताजगी से भर देता है। जिससे पुन: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है।
इससे देखने के नजरिए से लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो जाता है क्योंकि परमात्मा का ज्ञान व सूर्य की किरणे आत्मा पर चढ़े पुराने और आसुरी संस्कारों को दग्ध कर देती हैं। फिर वह सोने के बर्तन की तरह चमक उठता है और आत्मिक शक्तियां विकसित होने लगती हैं। राजयोग मेडिटेशन के लिए यूं तो ब्रह्ममुहूर्त्त सर्वोत्तम समय है लेकिन इसे कभी भी, कहीं भी किया जा सकता है। इससे शांति का प्रवाह बना रहता है।