लाइव हिंदी खबर :-फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इसलिए इस दिन सीता अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। माता सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के साथ हुआ था।
मान्यता के अनुसार, जनक पुत्री माता सीता विवाह पूर्व महाशक्ति स्वरूपा थी। विवाह पश्चात वे राजा दशरथ की संस्कारी बहू और वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम के कर्तव्यों का पूरी तरह पालन किया। यही कारण है कि माता सीता भगवान श्रीराम की श्री शक्ति हैं।
माना जाता है कि इस दिन मां जानकी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही विवाह संबंधी सभी समस्याओं से भी निजात मिल जाती है। आइये जानते हैं कि इस दिन माता सीता की कैसे करें पूजा…
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद मां की आराधना करें और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद एक चौकी पर सीता-राम सहित जानकी, माता सुनयना, कुल पुरोहित शतानंदजी, हल और माता पृथ्वी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करके उनकी पूजा करें।
कैसे मनाएं सीता अष्टमी पर्व?
सुबह में स्नान-ध्यान करने के पश्चात माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें।
इस दिन श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
माता सीता की प्रतिमा पर श्रृंगार का सामग्री चढ़ाएं।
दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और उसे दान कर दें।
शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें।