लाइव हिंदी खबर:- पुराने जमाने में हमारी दादी नानी शायद ही हमारे जैसे बाजार से खरीदे गए किसी सौंदर्य के सामान को को इस्तेमाल करती थी ज्यादातर घरेलू चीजों का इस्तेमाल किया जाता था उदाहरण के लिए काजल ले लें आज के समय में ढेर सारा पैसा खर्च करके हम ब्रांडेड आई लाइनर या ऑर्गेनिक काजल खरीदते हैं जबकि हमारी दादी नानी इसे घर पर ही बड़ी आसानी से बना लेती थी यहां तक की बालों की सफाई के लिए वे ज्यादातर प्राकृति पर ही निर्भर थी.
नियमित तौर पर तेल लगाना और मिट्टी से बाल धोना चेहरे के लिए भी वे रसोई के उत्पादों का इस्तेमाल करती थी जैसे कि 10 से छुटकारा पाने के लिए दूध टमाटर और नींबू करस त्वचा की नमी बरकरार रखने के लिए दूध की क्रीम किसी भी तरह के इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए हल्दी यानी कोई भी सामान कॉस्मेटिक की दुकान से नहीं आता था उस समय इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर सौंदर्य सामग्री केमिकल फ्री थीl
तो चलिए काजल बनाने का उपाय देखते हैं दीए में घी और कपड़े की बत्ती डालकर जलाया जाता था फिर पीतल का एक छोटा बर्तन उसके थोड़े ऊपर रखकर रात भर छोड़ दिया जाता था इसी काजल को घी के साथ मिलाकर महिलाएं आंखों में लगाती थी इससे उनकी खूबसूरती तो बढ़ती ही थी साथ में यह भी मान्यता थी कि इससे आंखों की रोशनी अच्छी होती है चेहरे के अलावा बालों को सौंदर्य का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता था.
आजकल बालों को सुंदर दिखाने के लिए भी विभिन्न तरह के शैंपू कंडीशनर और पैक्स इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन पुराने जमाने में बालों के लिए ज्यादातर नारियल तेल या कहीं कहीं सरसों और आंवले का तेल का भी इस्तेमाल किया जाता था हफ्ते में कम से कम 3 बार नारियल के तेल मैं कभी मेथी के दाने तो कभी एलोवेरा मिलाकर सिर की मालिश की जाती थी और फिर बालोंं को रीठा शिकाकाई या मुल्तानी मिट्टी से साफ किया जाता था और बालू के लिए गुड़हल का फूल काफी लाभदायक माना जाता है गुड़हल के फूल को पीसकर पेस्ट तैयार करें और फिर उसे सिर पर लगा ले और उसे ठंडे पानी से धो लें इससे बाल तेजी से बढ़ जातेे हैं.