राम नवमी के पर्व के पीछे का इतिहास जानकर होगी हैरानी ? जानें पूजा-विधि

राम नवमी के पर्व के पीछे का इतिहास जानकर होगी हैरानी ? जानें पूजा-विधि

लाइव हिंदी खबर :-रामनवमी का महत्व

रामनवमी का त्योहार पूरे पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। भगवान राम के भक्त रामायण का पाठ करते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है, घर में भजन कीर्तन किया जाता है और रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं। भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं। भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्त प्रसाद में पंचामृत, श्री खंड, खीर या हलवा के भोग के बाद लोगों में वितरित करते हैं।

राम नवमी पूजा विधि

1.  इस दिन प्रात:काल में स्नान करके पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
2.  पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
3.  उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
4.  खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
5.  पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।

जुड़ी है पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीराम अयोध्या के नरेश दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। रामनवमी की कहानी लंकापति रावण से शुरू होती है। त्रेता युग में रावण का प्रकोप पूरे धरती पर था। उसके अत्याचारों से चारों ओर त्राहि-त्राहि मचा था। रावण इतना अत्याचार इसलिए बना था कि उसे अमरत्व का वरदान था। यानी उसे कोई मार नहीं सकता था।

उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

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