2 हिस्सों में क्यों होती है सांपों की जीभ, महाभारत में छिपा है इसके पीछे का रहस्य

2 हिस्सों में क्यों होती है सांपों की जीभ, महाभारत में छिपा है इसके पीछे का रहस्य

लाइव हिंदी खबर :- रेंगने वाले जानवरों की श्रेणी में सांप सबसे चर्चित जानवरों में से एक है। सांप हमेशा से ही लोगों में आकर्षण का आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। एक तरफ लोग सांप से डरते भी हैं, क्योंकि सांप एक ज़हरीला जानवर है। तो वहीं दूसरी ओर हिंदू धर्म में सांप की पूजा भी की जाती है। आज हम आपको सांप को लेकर कुछ खास और अहम बातें बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही आज हम आपको ये भी बताएंगे कि आखिर सांप की 2 जीभ क्यों होती है?

महाकाव्य महाभारत में कहा गया है कि महर्षि कश्यप की कुल 13 पत्नी थीं। कुल 13 पत्नियों में से एक का नाम कद्रू था। महाभारत के अनुसार धरती पर मौजूद सभी नाग कद्रू की ही संतानें हैं। कद्रू के अलावा महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी का नाम विनता था। आपको बता दें कि महाराज गरुड़ विनता के पुत्र थे। एक बार की बात है कद्रू और विनता ने एक घोड़ा देखा, घोड़े का रंग सफेद था। लेकिन कद्रू का मानना था कि घोड़े का रंग बेशक सफेद है, लेकिन उसकी पूंछ काली है। तो वहीं विनता ने कहा कि घोड़े की पूंछ का रंग भी सफेद ही है। इसी बात को लेकर उठे विवाद में दोनों के बीच शर्त लग गई।

शर्त के बाद कद्रू ने अपने सभी पुत्रों को आदेश दिया कि वे अपना आकार छोटा कर लें, और घोड़े की पूंछ से लिपट जाएं ताकि उसकी पूंछ काली दिखे। सांपों के पूंछ से लिपटने के बाद सफेद घोड़े की पूंछ काली दिखने लगी, लिहाज़ा कद्रू ने विनता से शर्त जीत ली। कद्रू से शर्त हारने के बाद विनता को उनकी दासी बनना पड़ा था। मां के दासी बनने के बाद उनके पुत्र गरुड़ को बहुत बुरा लगा। जिसके बाद उन्होंने कद्रू के साथ-साथ उनके पुत्रों से मां को आज़ाद करने के लिए विनती की। गरुड़ ने कहा कि वे इसके लिए कोई भी वस्तु देने के लिए तैयार हैं।

गरुड़ की इस बात को सुनकर कद्रू के पुत्रों ने उनसे स्वर्ग से अमृत लाने को कहा। मां को दासत्व से मुक्ति दिलाने के लिए महाराज गरुड़ स्वर्ग से अमृत लाकर कुशा पर रख दिया। बता दें कि कुशा एक बेहद ही धारदार घास होती है। अमृत ग्रहण करने से पहले कद्रू के पुत्र स्नान के लिए चले गए। इतने में ही इंद्र देव आए और अमृत कलश को वापस स्वर्ग ले गए। कद्रू के पुत्र ये सब देखने के बाद काफी बेचैन हो गए, जिसके बाद उन्होंने घास को ही चाटने का निर्णय लिया। क्योंकि गरुड़ ने अमृत को उस धारदार घास पर ही लाकर रख दिया था। तो नागों को लगा कि वहां अमृत का थोड़ा बहुत अंश तो पड़ा होगा। लेकिन घास काफी धारदार थी, लिहाज़ा घास पर रह गए अमृत के अंश को पीने के चक्कर में उनकी जीभ दो टुकड़ों में बंट गई।

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