लाइव हिंदी खबर :-भगवान राम के सबसे बड़े भक्त की जब बात आती है तो हर कोई रामभक्त हनुमान का ही नाम लेता है। लेकिन हनुमान के अलावा प्रभु राम का एक और दीवाना भी था। जिसकी जिन्दगी का हर पला ‘राम-नाम’ के साथ बीतता था। ये थे गोस्वामी तुलसीदास। इनके लिए राम का नाम श्वास लेने के बराबर था। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास के जन्मोत्सव यानी तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है।
रामचरितमानस के रचियता
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सोरों शूकरक्षेत्र (वर्तमान एटा, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इन्होंने ही भगवान वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामयाण’ को काव्य तरीके से रचा और उसे ‘रामचरितमानस’ का नाम दिया। कहा जाता है कि इस महान ग्रन्थ को उन्होंने 2 वर्ष, 7 महीने, 26 दिनों में सम्पूर्ण किया था। इस ग्रन्थ को प्रत्येक हिन्दू श्रद्धा भाव से पड़ता है। कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने कलियुग में भगवान राम और लक्ष्मण के दर्शन किए।
मान्यता है कि रामचरितमानस की पंक्तियों से मनुष्य अपने जीवन की हर समस्या का समाधान कर सकता है। इस ग्रन्थ की हर कथा वाल्मीकि रामायण से ही ली गयी है। लेकिन गोस्वामी तुलसीदास ने हर कथा को इस आधार पर पेश किया ताकि लाकियुग का मनुष्य इसे पढ़कर अपनी परेशानी की हल निकाल सके। यहां हम आपको इसी महान ग्रन्थ की एक चौपाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके रोजाना जाप से आपको अनेकों लाभ मिल सकते हैं।
चौपाई:
जो प्रभु दीनदयाला कहावा। आरति हरन बेद जस गाबा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीनदयाल बिरद संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
ऐसे करें इस महान चौपाई का जाप:
– रोजाना सुबह जल्दी उठाकर, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाएं। एक लाल कपड़ा लें और आसन बिछा लें। इसपर श्रीराम की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें
– मूर्ति या तस्वीर पर तिलक लगाएं, अक्षत अर्पित करें और श्रीराम के सामने घी का दीपक जलाएं
– इसके बाद पूरे मन से उपरोक्त चौपाई का जाप आरंभ करें
– इस माला के जाप से श्रीराम की कृपा होती है। जीवन की दिक्कतों में कमी आती है और रामभक्त हनुमान भी बल और बुद्धि प्रदान करते हैं