लाइव हिंदी खबर :-आपने अब तक कई शादियां देखी होगी लेकिन क्या कभी किसी मेढ़क-मेढ़की की शादी होते देखा हैं। नहीं चौकिंए मत, देश में इस समय कई इलाके ऐसे भी हैं जहां बारिश नहीं हो रही है। जिसके लिए मेढ़क की शादी जैसे अंधविश्वास की परंपरा को मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश का छतरपुर इलाका भी ऐसी ही श्रेणी में आता है। बारिश ना होने के कारण यहां की महिला बाल विकास मंत्री ललिता यादव ने मेढ़क और मेढ़की की शादी का आयोजन करवाया है।
आज भी भारत के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां अंधविश्वास ने लोगों को जकड़ कर रखा है। लोगों का मानना है कि मेढ़क की शादी करवाने से बारिश जल्द होती है। आइए आज हम आपको बताते हैं क्या है इस शादी की मान्यता और कैसे होती है मेढ़क-मेढ़की की कहानी।
असम से निकल कर आई है यह परम्परा
भारत जैसे अंधविश्वास वाले देश में आज भी लोग प्राचीन बहुत सी मान्यताओं को पूजते हैं। बारिश के लिए की जाने वाली मेढ़क की पूजा भी इसी मान्याताओं का हिस्सा है। असम और त्रिपुरा से निकल कर आई यह मेढ़क की शादी की परम्परा कई लोगों को जहां अच्मभे में डालती है वहीं कुछ लोग इसे देखना भी चाहते हैं।
इंद्र देव को करते हैं पंसद
बता दें कि असम के लोग मेंढक-मेंढकी का विवाह कराते हैं। वास्तव में असम के लोगों की मान्यता है कि इस प्रकार के विवाह कराने से अच्छी बारिश होती है। माना जाता है कि जब किसान बरसात के देवता यानी इंद्र भगवान से बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं तब इंद्र कहते हैं कि जब तक तुम्हारे स्थान के मेंढक बरसात को नहीं कहेंगे, उस समय तक बरसात नहीं कराई जा सकती हैं। यही कारण है कि असम में मेढ़क की शादी करवाई जाती है ताकि सही समय पर बारिश हो और सारी फसलें सही तरह से उगे।
मंगल गीत के साथ होती है पूरी शादी
मेढ़क की शादी है तो इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं कि बस यूं ही शादी को कर दिया जाता है बल्कि पूरी तैयारी के साथ शादी को करवाया जाता है। विवाह में शादी के सभी रीति-रिवाजों को पूरा किया जाता है। शादी को करने के बाद में मेंढक-मेंढकी के नव विवाहित जोड़े को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है और प्रवाहित करते समय महिलाएं मंगल गीत भी गाती हैं। इस मेंढक-मेंढकी की शादी में बच्चे, बूढ़े तथा जवान सभी लोग शामिल होते हैं तथा इस प्रकार की शादी का खर्चा भी सभी ग्रामीण लोग मिलकर करते है । असम में यह परम्परा प्रचलित है।