लाइव हिंदी खबर :- सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और पंजाब में बारिश और भूस्खलन से हुई तबाही को लेकर गुरुवार को सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है बल्कि इंसानों द्वारा की गई लापरवाही का परिणाम है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि पहाड़ों पर अवैध पेड़ कटाई और मानव निर्माण ने प्रकृति को नाराज कर दिया है और अब वह बदला ले रही है।

यह टिप्पणी अदालत ने अनामिका राणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में कहा गया था कि पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रहे भूस्खलन और भारी बारिश से जान-माल का नुकसान बढ़ रहा है। जिसका कारण केवल प्राकृतिक घटनाएं नहीं बल्कि मानवीय हद से भी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार, चारों राज्य सरकारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को नोटिस जारी किया है। अदालत में सभी से तीन हफ्तों में विस्तृत में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। साथ ही केंद्र को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और पहाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए|
सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी पहाड़ी इलाकों में विकास कार्यों के नाम पर हो रही अवैध पेडों की कटाई पर ऐसी आपदाएं यह चेतावनी देती हैं कि यदि सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में आपदाओं का खतरा और भी बढ़ सकता है।