लाइव हिंदी खबर :- पिछले 24 घंटे में ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल ने फिलीस्तीन को औपचारिक तौर पर एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी है। अब तक दुनिया भर में लगभग 150 देश फिलीस्तीन को दे चुके हैं। यह कदम गाजा और फिलिस्तीन में मानवीय संकट को कम करने के लिए और इलाके में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि दो राष्ट्र समाधान ही क्षेत्र में शांति का रास्ता है, वहीं पुर्तगाल के विदेश मंत्री पाउलो रेंजेल ने कहा कि फिलीस्तीन को मान्यता देना ही स्थायी शांति का एकमात्र रास्ता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने वीडियो संदेश जारी कर अपने देश द्वारा फिलिस्तीन को दी गई मान्यता की घोषणा की। हालांकि अमेरिका अभी फिलीस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दे रहा है, जबकि उसने फिलिस्तीन अथॉरिटी को मान्यता दी हुई है।
फ्रांस ने भी ऐलान किया है कि वह इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन को मान्यता देने के पक्ष में वोट करेगा। संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन को परमानेंट ऑब्जर्वर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। इसका अर्थ है कि फिलीस्तीन यूएन के कार्यक्रमों में भाग ले सकता है, लेकिन उसे वोटिंग का अधिकार नहीं है। फ्रांस की मान्यता मिलने के बाद फिलीस्तीन को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के पांच स्थायी सदस्यों में से चार का समर्थन मिल जाएगा.
इतिहास में देखें तो चीन और रूस 1988 में फिलीस्तीन को मान्यता दी थी, फिलिस्तीन अथॉरिटी की स्थापना 1994 में इसलिए की गई थी, ताकि फिलिस्तीनियों के पास स्थानीय सरकार जैसी व्यवस्था और भविष्य में यह पूरा राज्य बन सके। इस नई मान्यता के साथ फिलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता और भी मजबूत हुई है, जबकि अमेरिका अब भी फिलिस्तीन को पूरी तरह से मान्यता देने से बच रहा है। यह कदम क्षेत्र राजनीति और गाजा संकट में शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।