लाइव हिंदी खबर :- पूरे देश में जहां दशहरे के दिन रावण के पुतलों दहन किया जाता है। वहीं कानपुर के शहर खास बाजार शिवाला पटकापुर क्षेत्र में स्थित एक अनोखा मंदिर इस परंपरा से बिल्कुल अलग है। यहां रावण की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है। जानकारी के अनुसार यह रावण मंदिर वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद द्वारा बनवाया गया था।

दशहरे के दिन सुबह-सुबह विशेष अनुष्ठान के साथ रावण की विधिवत पूजा की जाती है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है और यहां रावण को उसके ज्ञान और विद्वता के लिए सम्मानित किया जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि लोग हमसे पूछते हैं कि हम रावण की पूजा क्यों करते हैं। हम उन्हें बताते हैं कि हम रावण के पांडित्य, उसकी विद्वता और शिव शक्ति का सम्मान करते हैं।
रावण एक महान ज्ञानी था। जिसने वेद और शास्त्रों में गहरी पकड़ बनाई थी। आज उसकी छवि अलग रूप से दिखाई देती है, लेकिन उसके ज्ञान और क्षमताओं से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मंदिर की परंपरा दशकों से चली आ रही है और दशहरे पर यहां पूजा देखने दूर-दूर को से लोग आते हैं। यह अनोखी परंपरा भारतीय समाज की विविध धार्मिक मान्यताओं और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। जहां रावण जैसे विवादास्पद चरित्र को भी एक अलग दृष्टि से सम्मान दिया जाता है।