लाइव हिंदी खबर :- भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि कानून के शासन के दृष्टिकोण से अप्रियायिकता एक मूलभूत सिद्धांत है, जो कानूनी निश्चितता से गहराई से जुड़ा हुआ है। CJI गवई ने कहा कि जब अदालतें और न्यायाधिकरण सुसंगत, तार्किक और पूर्वानुमेय निर्णय देते हैं, तो कानून एक स्थिर ढांचा बन जाता है। जिसके भीतर नागरिक अपने अधिकारों का विश्वासपूर्वक प्रयोग कर सकते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।

इसके विपरीत, यदि निर्णय असंगत या विरोधाभासी हों, तो यह न्यायिक प्रणाली के प्राधिकरण को कमजोर कर सकता है और न्याय के प्रभावी संचालन में बाधा डाल सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने विशेष रूप से कहा कि यह सिद्धांत तकनीकी और अत्यंत विशेषज्ञ क्षेत्रों, जैसे कि आयकर में और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे मामलों में न्यायिक स्थिरता और स्पष्ट मार्गदर्शन होना अनिवार्य है ताकि नागरिक और व्यवसाय अपने निर्णयों को कानूनी ढांचे के भीतर सुरक्षित रूप से ले सकें।
CJI गवई ने न्यायपालिका से आग्रह किया कि वे अपने निर्णयों में निरंतरता, स्पष्टता और न्यायसंगत तर्क बनाए रखें, जिससे न्यायिक प्रणाली पर जनता का भरोसा मजबूत हो और कानून का शासन प्रभावी रूप से लागू हो। उनके इस वक्तव्य ने यह स्पष्ट किया कि न्यायिक स्थिरता और कानूनी निश्चितता किसी भी लोकतंत्र की मजबूत नींव हैं, जो नागरिकों के विश्वास और न्याय के सम्मान को सुनिश्चित करती हैं।