लाइव हिंदी खबर :- भारतीय थलसेना की इन्फैंट्री तेजी से तकनीकी रूप से सशक्त, आत्मनिर्भर और चुस्त युद्ध बल में बदल रही है। यह परिवर्तन विकसित भारत 2047 के विजन के अनुरूप है। यह बात डीजी इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बुधवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान कही। उन्होंने स्पष्ट कहा कि युद्ध उधार के हथियारों से नहीं लड़े जाते। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन पहल के तहत बड़े बदलावों से गुजर रही है, जिसमें आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और मानव संसाधन उत्कृष्टता पर जोर है।

शौर्य दिवस (पूर्व में इन्फैंट्री डे) के अवसर पर उन्होंने 1947 में 1 सिख रेजिमेंट के श्रीनगर एयर लैंडिंग के ऐतिहासिक अभियान को याद किया, जिसने जम्मू-कश्मीर की रक्षा में अहम भूमिका निभाई थी। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि आने वाली इन्फैंट्री तकनीकी रूप से उन्नत, मॉड्यूलर और बहु-क्षेत्रीय युद्धों में सक्षम होगी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीखों का उल्लेख करते हुए बताया कि भविष्य के युद्ध ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रिसिजन वेपन पर आधारित होंगे।
अब हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून शामिल की गई हैं, जो निगरानी और सटीक हमले करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, नई भैरव बटालियनों को भी हाई-मोबिलिटी और हाई-इंटेंसिटी ऑपरेशंस के लिए तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि इन्फैंट्री का यह परिवर्तन छह स्तंभों घातक क्षमता, गतिशीलता, संचार, युद्धक्षेत्र पारदर्शिता, जीवटता और प्रशिक्षण पर आधारित है, और इसे देशी तकनीक से आगे बढ़ाया जा रहा है। अजय कुमार ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली, जिसमें उद्योग, डीआरडीओ और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं, यह सुनिश्चित कर रही है कि भारत अब उधार के हथियारों से नहीं, बल्कि अपने दम पर लड़ाई जीते।