चीन ने तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान नौसेना में शामिल किया, भारत के लिए पांच बड़ी चुनौतियां

लाइव हिंदी खबर :- चीन ने अपने तीसरे और सबसे उन्नत एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल कर लिया है। यह कदम न केवल चीन की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई देता है, बल्कि हिंद महासागर और ताइवान स्ट्रेट में उसके दबदबे को भी और मजबूत करेगा। विश्लेषकों के मुताबिक यह विकास भारत समेत पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए सामरिक चुनौती साबित हो सकता है।

चीन ने तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान नौसेना में शामिल किया, भारत के लिए पांच बड़ी चुनौतियां

फुजियान पूरी तरह चीन में विकसित स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम (EMALS) तकनीक लगी है, जिससे भारी स्टेल्थ फाइटर जेट जैसे J-35 विमानों को तेजी से उड़ान भरने में मदद मिलती है। इसका वजन करीब 80 हजार टन है और यह एक साथ 40 से अधिक विमानों को संचालित कर सकता है।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार फुजियान की तैनाती के बाद चीन की नौसेना अब हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर और ताइवान के आसपास की समुद्री सीमाओं में अपनी उपस्थिति को और आक्रामक बना सकेगी।

भारत के लिए पांच बड़ी चुनौतियां

  1. हिंद महासागर में बढ़ता दबाव: फुजियान की तैनाती से चीन अब भारत के समुद्री क्षेत्र के और करीब आ सकता है।
  2. मलक्का जलडमरूमध्य पर पकड़: यह पोत चीन को भारत की व्यापारिक समुद्री राहों पर नज़र रखने की क्षमता देगा।
  3. तटीय सुरक्षा पर असर: चीन की नौसेना की निगरानी क्षमता बढ़ने से भारत को अपने तटीय इलाकों की सुरक्षा मजबूत करनी होगी।
  4. क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: भारत के लिए दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में रणनीतिक संतुलन बनाए रखना कठिन हो सकता है।
  5. साझेदारी पर दबाव: अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की नौसैनिक साझेदारी (क्वाड) पर भी अतिरिक्त जिम्मेदारी बढ़ेगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब अपनी नौसेना के आधुनिकीकरण और समुद्री निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम उठाने होंगे ताकि चीन की बढ़ती समुद्री ताकत का प्रभाव संतुलित किया जा सके।

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