लाइव हिंदी खबर :- जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने हाल ही में अपने ‘वर्क-एथोस’ को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सत्ता हथियाने के बाद यह कहा कि वह कार्य-जीवन संतुलन” (work-life balance) को छोड़ देंगी और पार्टी सांसदों से “घोड़े की तरह काम करने का आह्वान किया।

ताकाइची का यह रवैया जापान के लंबे समय से चले आ रहे ओवरवर्क कल्चर के लिए चिंता का विषय बन रहा है। उन्होंने यह भी बताया है कि वे अपने स्टाफ के साथ रात्रि 3 बजे मीटिंग बुलाती हैं। उनकी नींद भी बेहद कम है, उन्होंने खुलासा किया है कि उन्हें रात में सिर्फ 2 से 4 घंटे की नींद मिलती है। इस कारण आलोचकों का कहना है कि उनकी कार्यशैली पुराने ज़माने के क्रूर वर्क कल्चर को फिर से जिंदा कर सकती है।
जहां लोग अपनी सेहत और निजी ज़िंदगी छोड़कर काम को प्राथमिकता देते हैं। लेबर यूनियनों ने खास तौर पर इस बात पर आपत्ति जताई है कि पीएम की यह सोच काम के समय की सीमा बढ़ाने की मांग कर सकती है। यूनियन नेता का कहना है कि इसमें मौत-से-कम नहीं” की आशंका है क्योंकि पहले से ही जापान में अत्यधिक ओवरटाइम और स्वास्थ्य जोखिम की समस्या बनी हुई है।
जापान में वर्क-लाइफ बैलेंस की कोशिशें पहले भी की जा चुकी हैं, लेकिन PM का यह एलान और उनकी दिनचर्या यह सवाल खड़े करती है कि क्या पिछले सुधार पीछे हट सकते हैं। अगर उनका काम, काम और फिर काम वाला मंत्र लागू हुआ, तो हो सकता है कि जापानी समाज फिर एक ऐसे दौर में लौट जाए जहाँ प्रदूषित व्यस्तता से मौतें आम बात हों और वह डर केवल कागज़ों तक न सीमित रहे।