लाइव हिंदी खबर :-उत्तरी कोरिया की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों के बीच साउथ कोरिया ने अपनी समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि अमेरिका उनकी नौसेना को न्यूक्लियर पनडुब्बियां बनाने में तकनीकी मदद देगा। यह सहयोग दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को नई दिशा देगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी बदल सकता है।

साउथ कोरियाई राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर कोरिया लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ा रहा है और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर रहा है। ऐसे में साउथ कोरिया के लिए आधुनिक और अधिक ताकतवर सबमरीन बेहद जरूरी हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किम जोंग उन की आक्रामक नीति का जवाब देने के लिए हमारी नौसेना को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों की जरूरत है।
अमेरिका पहले ही साउथ कोरिया को सुरक्षा गारंटी दे चुका है, लेकिन पहली बार वह न्यूक्लियर सबमरीन तकनीक साझा करने के लिए तैयार हुआ है। यह सहयोग मुख्य रूप से डिजाइन, रिएक्टर तकनीक, मिसाइल इंटीग्रेशन और सुरक्षा मानकों से जुड़ा होगा। हालांकि इन पनडुब्बियों में परमाणु हथियार नहीं होंगे, बल्कि वे केवल न्यूक्लियर इंजन से चलेंगी, जिससे वे लंबे समय तक पानी में रह सकती हैं और दुश्मन की निगरानी क्षमता को चुनौती दे सकती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार न्यूक्लियर पनडुब्बियों के शामिल होने से साउथ कोरिया की समुद्री ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। यह न सिर्फ उत्तर कोरिया के लिए संदेश होगा, बल्कि चीन और रूस भी इस कदम को ध्यान से देख रहे हैं। हालांकि कुछ देशों ने चिंता जताई है कि इससे एशिया में हथियारों की होड़ तेज हो सकती है, लेकिन साउथ कोरिया का कहना है कि यह कदम पूरी तरह आत्मरक्षा के लिए है। अमेरिका और साउथ कोरिया के इस फैसले से आने वाले महीनों में क्षेत्रीय सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ सकता है।