लाइव हिंदी खबर :- इस बार साउथ अफ्रीका में होने वाले G20 समिट में दुनिया की तीन बड़ी शक्तियों के शीर्ष नेता शामिल नहीं हो रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ये तीनों इस बैठक से दूर रहेंगे। उनकी गैरमौजूदगी से इस बार भारत की भूमिका और भी अहम हो गई है।

ट्रम्प क्यों नहीं आ रहे?
ट्रम्प ने समिट में न आने की वजह साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों पर हो रहे अत्याचार को बताया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों पर हमले बढ़ रहे हैं और अमेरिका इस स्थिति से चिंतित है। ट्रम्प ने इसे मानवाधिकार का मुद्दा बताते हुए अपनी गैरहाजिरी को उचित ठहराया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस समिट से दूर रहेंगे।
वजह है इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) का वो गिरफ्तारी वारंट, जो यूक्रेन युद्ध के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को लेकर जारी किया गया था। पुतिन को डर है कि समिट में आने पर कूटनीतिक दबाव बढ़ सकता है या गिरफ्तारी की स्थिति भी बन सकती है। इसलिए उनकी जगह एक प्रतिनिधि शामिल होगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी G20 में नहीं पहुंचेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी तबीयत ठीक नहीं है और डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा न करने की सलाह दी है। ऐसे में चीन की तरफ से एक अलग प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा।
भारत के लिए यह G20 क्यों खास है?
तीन बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी से भारत का प्रभाव इस बार और बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट के सभी तीन मुख्य सेशनों को संबोधित करेंगे। उनका फोकस रहेगा—
- समावेशी विकास
- जलवायु संकट से निपटने की रणनीति
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सुरक्षित उपयोग
मोडी ने यात्रा से पहले कहा कि यह समिट ऐतिहासिक है, क्योंकि पहली बार G20 किसी अफ्रीकी देश में हो रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत के प्रयासों से 2023 में अफ्रीकी संघ को G20 का सदस्य बनाया गया था। जोहान्सबर्ग में मोदी का स्वागत भारतीय लोक संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ किया गया। उनकी इस यात्रा से भारत की डिप्लोमैटिक पकड़ और आर्थिक रणनीति को मजबूती मिलने की उम्मीद है।