लाइव हिंदी खबर :- यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि देश अपने जमीन और जमीर दोनों को खोने की कगार पर है। रूस के साथ चार साल से जारी युद्ध के दौरान पहली बार यूक्रेन ऐसी दोराही स्थिति में है, जहां शांति की शर्तें मानने पर देश का बड़ा हिस्सा हाथ से जा सकता है, जबकि इनकार करने पर अमेरिका जैसा मजबूत सहयोगी छूट सकता है।

जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन का सबसे अहम पार्टनर है और वे जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से बातचीत करना चाहते हैं, ताकि यूक्रेन का पक्ष मजबूती से रखा जा सके। उनका बयान उस समय आया है जब ट्रम्प ने अपने 28-बिंदुओं वाले शांति प्रस्ताव पर यूक्रेन से 27 नवंबर तक जवाब देने का अल्टीमेटम दिया है। इसी बीच रूस ने ट्रम्प की योजना का समर्थन कर दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह प्लान यूक्रेन में स्थायी शांति का आधार बन सकता है।
ट्रम्प के 28-बिंदु प्रस्ताव की मुख्य बातें-
- यूक्रेन को अपनी लगभग 20% जमीन रूस को देनी होगी, जिसमें डोनबास क्षेत्र शामिल है।
- यूक्रेन केवल 6 लाख सैनिकों तक की सेना रख सकेगा।
- नाटो की सेनाएं यूक्रेन में नहीं रहेंगी और भविष्य में यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा।
- रूस शर्तें मानता है तो उसके खिलाफ लगे सभी प्रतिबंध हटेंगे और यूरोप में जब्त की गई लगभग 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति डीफ्रीज की जाएगी।
इस बीच ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्त्ज ने संयुक्त बयान में कहा कि उनका समर्थन यूक्रेन के साथ है। उन्होंने कहा कि शांति योजना में यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा की गारंटी आवश्यक है और उसकी सेना घटाना उचित नहीं होगा। यूक्रेन पर अब फैसला लेने का दबाव है, जमीन छोड़े या सहयोगी।