लाइव हिंदी खबर :- ब्रिटेन की कोविड-19 जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की देरी और गलत फैसलों की वजह से देश में लगभग 23 हजार अतिरिक्त लोगों की मौत हुई। यह जांच एक स्वतंत्र पैनल ने की, जिसकी अगुवाई पूर्व जज हीथर हैलेट कर रही थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की शुरुआत में सरकार स्थिति की गंभीरता समझने में विफल रही।

जॉनसन वायरस को लेकर भ्रमित थे और लगातार फैसले बदल रहे थे। इसी वजह से लॉकडाउन लगाने में देर हुई, जिसका सीधा असर मौतों की संख्या पर पड़ा। विशेषज्ञों ने माना कि अगर ब्रिटेन ने 23 मार्च की बजाय 16 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा दिया होता, तो पहली लहर में होने वाली मौतों में 48% की कमी आ सकती थी। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि उस समय सरकार के अंदर का माहौल बेहद अव्यवस्थित और टॉक्सिक था।
कई जरूरी वैज्ञानिक सलाहें नजरअंदाज कर दी गईं। सरकार के वरिष्ठ लोगों के बीच सामंजस्य की कमी थी और कई फैसले राजनीतिक दबाव में लिए गए। कोविड काल के दौरान जॉनसन सरकार पर पहले भी कई विवाद रहे। डाउनिंग स्ट्रीट में लॉकडाउन के बीच पार्टियां होने का मामला सामने आया था, जिसे लेकर जॉनसन की काफी आलोचना हुई। इसके अलावा उस समय के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक और पूर्व शीर्ष सलाहकार डॉमिनिक कमींग्स पर भी गंभीर सवाल उठे।
रिपोर्ट में भविष्य की महामारियों से निपटने के लिए 19 अहम सिफारिशें दी गई हैं। इनमें वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता देना, साफ-सुथरी कमांड चेन बनाना, महामारी की शुरुआती चेतावनियों पर तुरंत कार्यवाही करना और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना शामिल है। जांच समिति का मानना है कि ब्रिटेन को कोविड-19 से बड़ी सीख लेनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियां दोबारा न दोहराई जाएं।