लाइव हिंदी खबर :- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक नया कार्यकारी आदेश जारी कर जेनिसिस मिशन की शुरुआत की है। इसे अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े वैज्ञानिक कार्यक्रमों में से एक बताया जा रहा है, ठीक उसी स्तर पर जैसे अपोलो मून मिशन और मैनहट्टन प्रोजेक्ट, जिसने परमाणु बम विकसित किया था।

इस महत्त्वाकांक्षी मिशन का मुख्य उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक शोध और नई खोजों की गति को कई गुना बढ़ाना है। इस योजना के तहत अमेरिका का ऊर्जा विभाग (DOE) एक विशाल AI-आधारित सिस्टम बनाएगा, जिसका नाम रखा गया है कि अमेरिकन साइंस एंड सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म।
इस प्लेटफॉर्म में देश के सारे सरकारी वैज्ञानिक डेटा, सुपरकम्प्यूटर, नेशनल लैब्स और प्राइवेट कंपनियों को एक जगह जोड़ा जाएगा। इससे रिसर्चर्स को एकीकृत डेटा और तकनीक का एक्सेस मिलेगा और नए प्रयोग तेज़ी से आगे बढ़ सकेंगे।
इस मिशन के माध्यम से अमेरिका निम्न क्षेत्रों में बड़ी छलांग लगाना चाहता है:-
- नई दवाइयां और इलाज
- न्यूक्लियर फ्यूजन और अन्य ऊर्जा स्रोत
- चिप्स और सेमीकंडक्टर डिजाइन
- क्वांटम कंप्यूटिंग
- स्पेस साइंस और डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन
ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि AI की शक्ति का उपयोग करके सालों में होने वाले वैज्ञानिक शोध अब कुछ हफ्तों या दिनों में पूरे किए जा सकेंगे। अमेरिका का यह कहना है कि चीन, यूरोप और कई अन्य देश AI में तेज़ी से निवेश कर रहे हैं, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जेनिसिस मिशन के जरिए अमेरिका फिर से विज्ञान, तकनीक, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में दुनिया में नंबर-1 बनने का लक्ष्य रखता है।