लाइव हिंदी खबर :- पाकिस्तान में हाल ही में किए गए 27वें संविधान संशोधन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने गहरी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी के हाई कमिश्नर वोल्कर टर्क ने कहा कि यह संशोधन पाकिस्तान की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है और देश की संस्थाओं पर राजनीतिक असर बढ़ा सकता है।

12 नवंबर को पाकिस्तान की संसद ने एक बड़े संवैधानिक बदलाव को मंजूरी दी थी। इसके तहत संविधान के 48 अनुच्छेदों में बदलाव कर सेना की शक्तियां बढ़ाई गईं और सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र सीमित किया गया। टर्क ने कहा कि यह संशोधन पिछले साल पारित 26वें संशोधन की तरह बिना व्यापक चर्चा के पास किया गया है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर होती है।
टर्क ने उस प्रावधान पर भी गंभीर सवाल उठाए जिसमें राष्ट्रपति और सेना के शीर्ष अधिकारियों को आजीवन आपराधिक मामलों से छूट देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह कानून के समान अनुपालन और जवाबदेही के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। अगर यह सुरक्षा ढील दी गई तो अदालतें मानवाधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष न्याय देने में असमर्थ हो जाएंगी।
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से अपील की है कि वह इस संशोधन की समीक्षा करे और ऐसे सुधार करे जो संस्थाओं को मजबूत बनाएं, कमजोर नहीं। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान की सेना में बड़े बदलाव हुए हैं। सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने 27 नवंबर को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज का पद संभाला है, जो इसी संशोधन के तहत बनाया गया है।
इसके अलावा नया नेशनल स्ट्रैटजिक कमांड भी बनाया गया है, जो अब पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का पूरा नियंत्रण संभालेगा। पहले यह जिम्मेदारी नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) के पास थी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे। यूएन का कहना है कि इस बदलाव से सेना को बेहिसाब ताकत मिल जाएगी और देश का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर होगा।