लाइव हिंदी खबर :- अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने अपने सभी दूतावासों को H-1B वीजा आवेदकों की जांच और सख्त करने के निर्देश दिए हैं। नए नियमों के तहत अब वीजा इंटरव्यू के दौरान केवल दस्तावेज़ या नौकरी का ऑफर ही नहीं देखा जाएगा, बल्कि आवेदकों की LinkedIn प्रोफाइल, रिज़्यूमे और उनके पेशे से जुड़े काम की गहराई से जांच की जाएगी।

किन पर होगी सबसे ज्यादा नजर?
निर्देश के अनुसार, ऐसे लोग जो किसी भी रूप में अमेरिका में फ्री स्पीच (अभिव्यक्ति की आजादी) को सीमित करने से जुड़े काम में रहे हैं, उन्हें वीजा के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है।
यह विशेष रूप से उन पेशों पर लागू होगा, जिनमें शामिल हैं—
- कंटेंट मॉडरेशन
- मिसइन्फॉर्मेशन मॉनिटरिंग
- फैक्ट-चेकिंग
- डिसइन्फॉर्मेशन रिसर्च
- ऑनलाइन सेफ्टी
- सोशल मीडिया कंप्लायंस टीमें
अमेरिका का मानना है कि इन क्षेत्रों में काम करने वाले कुछ लोग ऐसा काम भी करते हैं जो “कानूनी रूप से फ्री स्पीच को नियंत्रित करने” की श्रेणी में आ सकता है। इसलिए इन्हें अतिरिक्त जांच का सामना करना पड़ेगा।
🇺🇸 क्यों कड़ी हुई जांच?
H-1B वीजा अमेरिकी टेक सेक्टर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हर साल बड़ी संख्या में भारतीय और चीनी कर्मचारी इस वीजा पर अमेरिका आते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी सरकार इसे अमेरिका में फ्री स्पीच की रक्षा के कदम के रूप में पेश कर रही है। टेक कंपनियों को अब नई तरह की वीजा स्क्रीनिंग से गुजरना होगा।
परिवार की भी जांच होगी
दूतावासों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि वीजा अधिकारी आवेदक और उनके परिवार के पेशे की भी जांच करेंगे। यदि किसी ने ऐसी नौकरी की है, जहां ऑनलाइन अभिव्यक्ति या सोशल मीडिया कंटेंट को सीमित किया गया हो, तो वीजा रुक सकता है।
इसका असर किस पर पड़ेगा?
- सोशल मीडिया कंपनियों में काम करने वालों पर
- ऑनलाइन सेफ्टी टीमों पर
- फैक्ट-चेकिंग संस्थानों में काम करने वालों पर
- डिजिटल मॉनिटरिंग या सेंसरशिप से जुड़े शोधकर्ताओं पर
नए नियमों से H-1B वीजा प्रक्रिया पहले से ज्यादा कठिन और समय-साध्य हो सकती है।