लाइव हिंदी खबर :- भारत और रूस के रिश्तों को दुनिया सबसे भरोसेमंद साझेदारी में गिनती है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आने से ठीक पहले बोले कि भारत सिर्फ उनका हथियार खरीदने वाला देश नहीं है, बल्कि ऐसा साझेदार है जिसके साथ रूस तकनीक तक साझा करता है। पुतिन ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में तकनीक साझा करना तभी संभव होता है, जब देशों के बीच अटूट भरोसा हो।

भारत-रूस की यह दोस्ती आज की नहीं, बल्कि आज़ादी के शुरुआती वर्षों में ही बन चुकी थी। भारत ने स्वतंत्रता के तुरंत बाद विजयलक्ष्मी पंडित को सोवियत संघ में राजदूत बनाकर भेजा। यही वह दौर था जब दोनों देशों के रिश्तों की नींव गहरी होने लगी। रूस ने भी उसी गर्मजोशी के साथ किरिल नोविकोव को भारत भेजा। उनके दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने की तस्वीरें आज भी इस साझेदारी की शुरुआती झलक दिखाती हैं।

भारत और रूस की दोस्ती में कई दिलचस्प घटनाएं दर्ज हैं। इन्हीं में से एक है वह समय जब रूस ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक गाय भेंट की थी। इस उपहार का उद्देश्य सिर्फ सौहार्द बढ़ाना नहीं था, बल्कि कृषि और पशुधन सुधार में सहयोग का संदेश भी था।

1950 के दशक में सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव और बुल्गानिन की भारत यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई दी। उन्हें देखने के लिए करीब दो लाख लोग सड़कों पर उमड़ पड़े थे। किसी विदेशी नेता के लिए भारत में इतने बड़े जनसमूह का स्वागत बेहद दुर्लभ दृश्य माना जाता है।
इन वर्षों में भारत और रूस ने मिलकर स्टील प्लांट, ऊर्जा परियोजनाओं, स्पेस प्रोग्राम और रक्षा तकनीक में मजबूत साझेदारी बनाई। यही सहयोग आज S-400, ब्रह्मोस मिसाइल और कई रणनीतिक समझौतों के रूप में दिखाई देता है।रूस की संसद में हाल ही में RELOS समझौते को मंजूरी मिलना भी इसी भरोसे की कड़ी है। पुतिन की भारत यात्रा इस 70 साल पुराने रिश्ते को एक और नए अध्याय की ओर ले जाने वाली है।