लाइव हिंदी खबर :- नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को महाराजा ऑफ नागपुर ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाग लिया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने समाज, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण में विचार और साहित्य की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। मोहन भागवत ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और यह पीढ़ियों को जोड़ने का माध्यम बनता है।

उन्होंने कहा कि पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होतीं, बल्कि वे विचारों को दिशा देने का कार्य करती हैं। जब समाज अपने इतिहास, संस्कृति और मूल्यों को समझता है, तभी एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव होता है। उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में पुस्तकों और लेखन के माध्यम से समाज में सकारात्मक सोच और राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे पुस्तकों को पढ़ने और समझने की आदत विकसित करें, क्योंकि “विचारों की शक्ति ही भविष्य की दिशा तय करती है।
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद् और लेखक उपस्थित रहे। ट्रस्ट की ओर से कहा गया कि इस पुस्तक का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के अंत में मोहन भागवत ने लेखकों और विद्वानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि लेखन को केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का माध्यम बनाना चाहिए।