लक्ष्मी जी की पूजा में इन गलतियों के कारण नहीं टिकता पैसा, जरूर जाने

लक्ष्मी जी की पूजा में इन गलतियों के कारण नहीं टिकता पैसा, जरूर जाने

लाइव हिंदी खबर :-धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। क्योंकि हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि और धन-ऐश्वर्य चाहता है। माना जाता है कि देवी लक्ष्मी जिसपे महरबान हो जाती हैं उसके वारे-न्यारे कर देती हैं। लेकिन लक्ष्मी जी कभी भी किसी एक स्थान पर नहीं टिकती हैं।

लक्ष्मी हमेशा व्यक्ति से प्रसन्न रहें इसके लिये विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। लक्ष्मी जी की पूजा में कोई गलती नहीं करना चाहिये, साथ ही लक्ष्मी जी की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। आइए जानते हैं किन बातों का रखें ध्यान…

– हमेशा इस दिशा में रखें दीया

लक्ष्मी जी की पूजा में जब भी दीया लगायें तो दीये की दिशा का ध्यान रखें। क्योंकि लक्ष्मी जी को दीया हमेशा दाईं तरफ लगाना चाहिये। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु अग्नि और प्रकाश का स्वरुप माने जाते हैं। वहीं यह यह भी मान्यता है कि पति हमेशा पत्नी के दाईं तरफ ही बैठता है। इसलिये दीपक को लक्ष्मी जी के दाईं तरफ ही रखें।

 

– मां लक्ष्मी की पूजा में जरुर रखें इस रंग के फूल

लाल रंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है और देवी लक्ष्मी सुहागिन हैं इसलिये उन्हें लाल रंग की चीजें अर्पित जरुर करें। लाल रंग देवी लक्ष्मी को प्रिय भी है। इसलिये लक्ष्मी जी को लाल फूल, लाल कुंमकुम और लाल रंग की बत्ती का प्रयोग करें।

– लक्ष्मी जी को ना चढ़ाएं तुलसी

तुलसी का विवाह सालीग्राम जी से हुआ था। सालीग्राम जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार जब तुलसी का विवाह भगवान विष्णु से हुआ है तो माता लक्ष्मी का तुलसी से बैर माना जाता है। इसलिये कभी भी लक्ष्मी जी की पूजा में तुलसी पत्ता या मंजरी भूलकर भी नहीं डालना चाहिये।

– लक्ष्मी जी के साथ जरुर करें भगवान विष्णु की पूजा

हमेशा इस बात का ध्यान रखें की देवी लक्ष्मी को चढ़ाये जाने वाला प्रसाद दक्षिण दिशा में रखना चहिये इसके साथ ही फूल, बेलपत्र और लक्ष्मी जी को चढ़ाने वाला पूरा सामान दक्षिण दिशा में ही रखना चाहिये और एक बात का हमेशा ध्यान रखें की देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी करें वरना लक्ष्मी पूजन का ना तो फल मिलेगा ना ही फूजा सफल मानी जाएगी। देवी पुराण में इसका उल्लेख भी मिलता है।

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