लाइव हिंदी खबर :-देव सेनापति यानि मंगल का अपना खास महत्व है। एक ओर जहां इसके कारक देव श्री हनुमान जी हैं, वहीं कुंडली में इसे पराक्रम का कारक माना जाता है। वहीं वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है। यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होगा तथा युद्ध में वह विजय प्राप्त करेगा। लेकिन यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो तो जातक को विविध क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं इसका रत्न मूंगा है।
किस राशि से कैसा संबंध…
मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है।
यह देता है दोष…
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में मंगल ग्रह का सही स्थिति में न होना जैसे पहले, चौथे, सातवें, आठवें व बारहवें में भाव में बैठने पर कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण होता है। बात दें कि मान्यता के अनुसार इसी दोष के कारण जातक के विवाह में देरी होती है।
माना जाता है कि मांगलिक को मांगलिक के साथ ही विवाह करना चाहिए। ऐसा न होने से वर वधु के जीवन में परेशानियां आती है। वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता है। इसलिए ज्योतिष व पंडित मंगल (Mars) दोष निवारण करवाने की सलाह देते हैं। वहीं ये भी माना जाता है कि यदि मंगल के साथ राहु बैठ जाएं तो दोनों के प्रभाव में शून्यता सी आ जाती है।
मंगल के प्रभाव
ज्योतिष के जानकार बीडी श्रीवास्तव के अनुसार सभी ग्रहों में मंगल ग्रह को सेनापति का दर्जा दिया गया है। मंगल (Mangal) ग्रह के शुभ होने पर व्यक्ति को काफी अच्छे फल मिलते हैं और उसका जीवन सुखी होता है। वहीं कुंडली में इसके अशुभ होने पर जातक का जीवन काफी तकलीफों भरा हो जाता है। मंगल (Mangal) ग्रह के अशुभ प्रभाव से दुर्घटनाओं के योग होने के साथ कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति दरिद्र हो जाता है और दुख उसको घेरे रहता है।
कुंडली में मंगल (Mangal)
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आंठवें और बारहवें भाव में मंगल स्थित है ,तो इस तरह के लोगों को मंगली कहा जाता है और इनके ऊपर मंगल (Mangal) का काफी ज्यादा प्रभाव होता है।
मंगल (Mangal) के अशुभ प्रभाव
यदि किसी की कुंडली में मंगल अशुभ है तो ऐसे व्यक्ति को ऋण संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उसको भूमि-भवन आदि कार्यों में हानि होती है। मकान निर्माण में काफी दिक्कतें आती हैं। शरीर में दर्द की समस्या के साथ खून से संबंधित बीमारी होने की संभावना रहती है। ऐसे जातकों के विवाह काफी देर से होते हैं।
ये हैं अशुभ मंगल के आसान उपाय
मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय मंगल देव की भात पूजा है। हर मंगलवार को मंगल देव की विशेष आराधना करें। गरीबों, जरूरतमंदों की यथासंभव मदद करें उनको खाना खिलाएं। मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करें। बजरंगबलि के मंदिर में लड्डू, बूंदी या गुड़-चने का भोग लगाएं। इसके साथ हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, बजरंगबाण, हनुमत-स्तवन आदि का पाठ करें। हनुमानजी की विधि-विधान से आरती उतारें।
धारण करें मूंगा
सभी ग्रह के अपने अपने रत्न होते हैं जो ग्रहों की उर्जा को अवशोषित करके धारण करने वाले की स्थिति अनुकूल बनाते हैं। मंगल का राशि रत्न है मूंगा। मंगल को अनुकूल बनाने के लिए मूंगा रत्न धारण किया जा सकता है (ध्यान रहे कोई भी रत्न धारण करने से पहले किसी जानकार की सलाह अवश्य लें)। इसके अलावा इनमें से कोई उपाय नहीं कर पाते हैं तो कम से कम मंगलवार के दिन लाल कपड़ा पहनें और सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ भी मंगल को शुभ बनाने में सहायक होता है।
ये भी है मंगल दोष शांति का यह उपाय
हनुमान जी को रुद्रावतार यानि की महादेव का अवतान माना जाता है। मंगल भी शिव का ही एक अंश है। यही वजह है कि हनुमान की भक्ति करने से मंगल पीड़ा भी शांत हो जाती है। हनुमान जी के पूजन के बाद मंगल की शांति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। जो शीघ्रता से मंगल दोष प्रभाव को नष्ट करने लगते हैं।
इन मंत्रों का जाप करें
– ॐ रूद्रवीर्य समुद्भवाय नम:
– ॐ शान्ताय नम:
– ॐ तेजसे नम:
– ॐ प्रसन्नात्मने नम:
– ॐ शूराय नम:
इन हनुमान मंत्रों के जाप के बाद हनुमान जी और मंगल देव का ध्यान कर लाल चन्दन लगे लाल पुष्प, अक्षत लेकर श्री हनुमान के चरणों में अर्पित करें। हनुमान जी की आरती कर मंगल दोष से रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करें।