लाइव हिंदी खबर :- ब्रह्मकमल को खिलते देखना किसी सपने से कम नहीं है। कहा जाता है कि यदि इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो वो पूरी हो जाती है। फूलों की महक वातावरण को सुगंधित बना देती है। बिगड़े मूड को ठीक करने में भी फूलों की खुशबू से बढ़कर कुछ और नहीं। बात घर को डेकोरेट करने की हो या भगवान को खुश करने की, फूल हर जगह काम आते हैं।
दुनिया में फूलों की कई प्रजातियां पाई जाती है। आज हम आपको एक ऐसे फूल के बारे में बताएंगे जिसे कि भगवान का प्रिय माना जाता है। इस फूल का जिक्र पौराणिक कथाओं में भी हुआ है। हम यहां बात कर रहे हैं ब्रह्मकमल के बारे में जिसे कि हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा जाता है। ब्रह्मकमल का अर्थ है ब्रह्माजी का कमल। इसे मां नंदा का प्रिय पुष्प माना जाता है। इस कमल की विशेषता है कि ये आधी रात के बाद खिलती है। ब्रह्मकमल को खिलते देखना किसी सपने से कम नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि यदि इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो वो जल्द ही पूरी हो जाती है।
ब्रह्मकमल का जीवनकाल केवल पांच से छह माह तक ही होता है। इस दौरान एक बार ही ये फूल खिलता है और आधी रात तक ये पूरा खिल जाता है। सुबह होते ही मुरझा जाता है। ब्रह्मकमल के बारे में लोगों की ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान एकदिन द्रौपदी काफी परेशान थी।उन्हें कौरवों से मिले अपमान का बेहद दुख था। जंगल में वो एक शाम एक झरने के पास गई। वहां उन्होंने एक बेहद सुंदर कमल को देखा। द्रौपदी के सामने आते ही वो कमल खिल गया।
जिसे देख द्रौपदी काफी खुश हुई लेकिन देखते ही देखते ये कमल मुरझा गया जिसे देख वो पुन: दुखी हो गई जो इस बात का संकेत था कि द्रौपदी के दुखों का अन्त यही नहीं है। तब से आज तक इस फूल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मकमल भविष्य का संकेत देता है। ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रह्मकमल से बुरी आत्माएं और भूत-प्रेत दूर भागने लगते हैं। ब्रह्मकमल काफी दुर्लभ है। इसकी पैदावार उत्तराखंड, उत्तरी म्यांमार तथा दक्षिण -पश्चिम चीन में होती है। इन्हीं सारी मान्यताओं के चलते लोग इस फूल के प्रति आस्था रखते हैं।