लाइव हिंदी खबर :- भगवान भैरव बाबा को तंत्र-मंत्र विधाओं के देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अवतार हुआ था।
शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव का अवतार हैं लकिन क्या आप जानते हैं शिव जी ने भैरव के रुप में अवतार क्यों लिया तो आइए जानते हैं इसकी कथा…
भैरव अवतार की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन श्रेष्ठ है, इसको लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। विवाद के समाधान के लिए दोनों सभी देवता और ऋषि मुनियों सहित शिव जी के पास पहुंचे। वहां पहुंच कर सभी को लगा कि सर्वश्रेष्ठ तो शिव जी ही हैं। इस बात से ब्रह्मा जी सहमत नहीं थे, वे क्रोधित होकर शिव जी का अपमान करने लगे। उनकी बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया, जिसके परिणाम स्वरूप कालभैरव का जन्म हुआ।
भैरव देवता से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख
भगवान भैरव शिव के अवतार हैं और भैरव के 52 रुप माने जाते हैं। भैरव देव की कृपा से व्यक्ति निर्भय और सभी कष्टों से मुक्ति पाता है। वहीं भैरव का स्वभाव क्रोधी, तामसिक और मदिरा का सेवन करने वाला है। लेकिन क्या आपको पता है भैरव देवता का यह स्वरुप मानव जीवन को बहुत शिक्षा देता है।
शिव जी ने यह अवतार लेकर मानव जाति को समझाया है कि मनुष्य अपने सारे अवगुण त्यागकर भैरव को समर्पित करें। मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव व्यक्ति भैरव देव को समर्पित कर दें। इसलिये उन्हें मदिरा का भोग भी लगाया जाता है। भैरव अवतार हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि हर कार्य सोच-विचार कर करना ही ठीक रहता है। बिना विचारे कार्य करने से पद व प्रतिष्ठा धूमिल होती है।
कालभैरव के पूजन से मिलते हैं ये सुख
भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा होती है। भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवच आदि का नियमित पाठ करने से कई परेशानियां खत्म होती हैं।