लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :- पहाड़ी और बर्फ के इलाकों में पाई जाने वाली औषधिय गुणों से भपपूर दुर्लभ गुच्छी (MOREL) की तलाश में कई गांव के गांव इसे खोजने के लिए खाली हो जाते हैं। पांच सितारा होटलों के लजीज पकवानों में गिनी जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के उगने से ऊपरी शिमला के जंगल में इसे ढूंढने के लिए ग्रामीण बड़ी संख्या में जाते हैं। प्रकृति के खजाने के इस कीमती तोहफे को पाने के लिए ग्रामीणों में हर बार की तरह कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है। हिमालय के क्षेत्रों में ही गुच्छी नामक पाई जाती है। गुच्छी की कीमत 25 से 30 हजार रु. किलो है।
बिजली की गड़गड़ाहट व चमक से बर्फ से निकलती है गुच्छी
कश्मीर, हिमाचल व हिमालय के ऊंचे हिस्सों में पैदा होने वाली गुच्छी की सब्जी वहां के रहने वालों के लिए वरदान होता है क्योंकि इसके वजह से उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती है। स्थानिय लोगों ने बताया कि गुच्छी पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक से बर्फ से निकलती है। बाजार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो है। यह दुर्लभ सब्जी पहाड़ों पर साधु-संत ढूंढकर इकट्ठा करते हैं और ठंड के मौसम में इसका उपयोग करते हैं। इसको बनाने की विधि में ड्राइ फ्रूट, सब्जियां, घी इस्तेमाल किया जाता है। संतश्री ने बताया कि 1980 के सिंहस्थ में जूना अखाड़ा के एक महंत ने 45 लाख रुपए की गुच्छी की सब्जी का भंडारा सात दिन तक चलाया था।
स्थानीय लोग जंगल में डाल लेते हैं डेरा