लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :- खराब जीवनशैली व संतुलित खानपान न लेने से पेट संबंधी दिक्कतें बढ़ती हैं। सही समय पर भोजन न करने, जल्दी-जल्दी बिना चबाए खाने, अधिक मात्रा में तला-भुना या मिर्च-मसालेदार भोजन की आदत पाचन क्षमता को धीमा कर एसिडिटी पैदा करती है ।
लक्षणों को देखें
खट्टी डकारें, पेट में भारीपन, सीने-गले में जलन, अत्यधिक थकान, सिरदर्द, अपच, पेट में गुड़गुड़ाहट जैसी आवाज आने जैसे लक्षण एसिडिटी के हैं। कई बार हाथ-पैर में जलन, भूख न लगने, बुखार व खुजली भी होती है।
ये हैं कारण
नया अन्न, तिल, उड़द, कुलथी की दाल, तेल व मसाले, कांजी, खट्टी-तीखी, भारी व बासी चीजें खाना, शराब की लत या उल्टी आने पर उसे जबरदस्ती रोकने से एसिडिटी हो सकती है। भोजन के तुरंत बाद सोना, बार-बार नहाना, भोजन के बीच पानी पीना भी दिक्कत को बढ़ाता है।
इनसे परहेज जरूरी
चरक संहिता के अनुसार कुलथी की दाल व बेसन, मैदा जैसी नमकीन चीजें भारी होती है इसलिए इनसे परहेज करें। साथ ही नए चावल की तासीर भारी होने के कारण इन्हें पचने में समय लगता है जो कम से कम एक साल बाद खाने लायक बनते हैं। वहीं पुराने चावलों को 5-6 बार अच्छे से धोने के बाद ही प्रयोग में लेना फायदेमंद होता है।
अपनाएं ये उपाय
– तीन ग्राम पिप्पली चूर्ण को आधा चम्मच शहद के साथ खाना खाने से पहले लेना लाभदायक होता है।
– शाम के समय आधा गिलास नींबू पानी पी सकते हैं।
– हरड़, बहेड़ा, आंवला व मुलेठी (सभी को समान मात्रा में मिलाकर 20 ग्राम) को एक गिलास पानी में उबालें। ठंडा होने पर एक चम्मच शहद के साथ सुबह पिएं।
– बराबर मात्रा में हरड़, पिप्पली, पिसा धनिया, मुनक्का को मिलाकर एक चम्मच शहद से ले सकते हैं।
– समान मात्रा में शतावरी, गिलोय की बेल व मुलेठी पीस लें। एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाने से पहले लें।