कभी नहीं समझते ये 8 तरह के लोग दूसरों का दुख, पढ़ें चाणक्य की नीतियां

कभी नहीं समझते ये 8 तरह के लोग दूसरों का दुख, पढ़ें चाणक्य की नीतियां लाइव हिंदी खबर :-भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अगर कमी है तो वो समय की। तरक्की की राह में लोग इतने मशगूल हो जाते हैं वो अपने घर और रिश्तों को समय नहीं दे पाते। इससे रिश्तों के बीच में धीरे-धीरे दरारें और गलफहमियां पैदा हो जाती है और बात रिश्ता हमेशा खत्म करने पर जाता है। तेजी से भागती समयचक्र में लोग एक-दूसरे के सुख और दुख के वक्त में नहीं पहुंच पाते है। ऐसी स्थिति आने में केवल समय का दोष नहीं बल्कि कहीं न कहीं आप भी जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में रिश्तों और समय की अहमित की जब कभी बात आती है तो हमेशा चाणक्य नीतियां याद आती है।

चाणक्य मौर्य साम्राज्य में कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कुटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्व विख्यात हुए थे। इन्होंने न सिर्फ सफलता पर अपने विचार साझा किया था बल्कि बुद्धि, विद्या, वाणिज्य जैसे गंभीर विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए थे। अगर आप भी अपने जीवन में हमेशा रिश्तों की मजबूती बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको चाणक्य द्वार बताए गए सूत्रों पर गौर करना चाहिए। इन्होंने न केवल रिश्तों को बरकार की बातें सुझाई है बल्कि ये भी बताया है कि लोगों की स्वभाव पर भी प्रकाश डाला है।

1. वह पत्नी जो दूसरे पुरुष में रूचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है। जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है। भिखारी कंजूस आदमी का दुश्मन होता है, एक अच्छा सलाहकार एक मूर्ख आदमी का शत्रु है।

2. स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बंटा हुआ है, जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है।

3. मूर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार करती है, वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है, जबकि वह उससे धन पर आसक्त होती है।

4. जब आदमी में शक्ति नहीं रह जाती वह साधू हो जाता है, जिसके पास दौलत नहीं होती वह ब्रह्मचारी बन जाता है, रुग्ण भगवान् का भक्त हो जाता है, तथा जब औरत बूढी होती है तो पति के प्रति समर्पित हो जाती है।

5. ये आठों कभी दुसरों का दुःख नहीं समझ सकते…
(1) राजा (2) वेश्या (3) यमराज (4) अग्नि (5) चोर (6) छोटा बच्चा (7) भिखारी (8) कर वसूल करने वाला

6. जो व्यक्ति राजा से, अग्नि से, धर्म गुरु से और स्त्री से बहुत परिचय बढ़ाता है वह विनाश को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति इनसे पूर्ण रूप से अलिप्त रहता है, उसे अपना भला करने का कोई अवसर नहीं मिलता।

इसलिए इनसे सुरक्षित अंतर रखकर सम्बन्ध रखना चाहिए।

7.जिस प्रकार एक गाय का बछड़ा, हजारो गायो में अपनी माँ के पीछे चलता है उसी तरह कर्म आदमी के पीछे चलते है।

8.ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन में आनंद आता है, गायों को ताजी कोमल घास खाने में, पत्नी को पति के सान्निध्य में, क्षत्रियो को युद्ध में आनंद आता है।

9. वह ब्राह्मण जो भगवान् के मूर्ति की सम्पदा चुराता है और वह अध्यात्मिक गुरु जो दुसरे की पत्नी के साथ समागम करता है और जो अपना गुजारा करने के लिए कुछ भी और सब कुछ खाता है वह चांडाल है।

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