लाइव हिंदी खबर :-मंदिर एक पवित्र स्थल होता है जहां देवी-देवताओं का निवास रहता है। जब आप मंदिर में जाते हैं तो आपको मंदिर में देवी-देवताओं, पुजारी, भक्त के साथ बहुत सी चीजे देखते है। हर मंदिर में आपने घंटी जरूर देखी होगी। लोग मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाते हैं फिर उसके बाद मंदिर में प्रवेश करते हैं। उसके बाद मंदिर से बाहर जाते वक्त लोग घंटी बजाते हैं। ऐसा क्यों? आपके जेहन में प्रश्न जरूर उठा होगा। मंदिर में घंटी आस्था से जुड़ा हुआ है। मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है।
शास्त्रों के मुताबिक इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही बताए गए। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर में घंटी बजाने से ईश्वर के दरबार में हाजिरी लग जाती है। वहीं, किसी का मानना है कि घंटी बजाने से आत्मा को शांति मिल जाती है।
मंदिर में घंटी बजाने का धार्मिक कारण
जैसा कि मंदिर में ईश्वर का वास होता है। यहां लोग भगवान की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं ताकि ईश्वर की कृपा उनपर बनी रहे। मंदिर में घंटी बजाने का जिक्र स्कंद पुराण में किया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार घंटी से जो ध्वनि गुंजायमान होती है वह ‘ॐ’ की ध्वनि के समान होती है। घंटी बजाने वाले भक्त को ‘ॐ’ उच्चारण के समान पुण्य प्राप्त होता है और वे पापों से मुक्त हो जाते हैं। वहीं, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मंदिर में भक्त घंटी इसलिए बजाई जाती है ताकि विराजित ईश्वर की मूर्तियों में चेतना जागृत हो सके। कहते हैं जो भक्त मंदिर में घंटी बजाता है, उस पर ईश्वर की दृष्टि पड़ जाती है। इसके अतिरिक्त घंटी बजाने से भक्तों की पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है और शीघ्र ही उनकी मुरादें पूरी होती हैं।
ये है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ ऋषि मुनियों की परंपरा रही है। मंदिर में घंटी बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताया गया है। एक शोध के मुताबिक मंदिर की घंटी की आवाज से विशेष प्रकार की तरंगे निकली हैं जो आसपास के वातावरण में कंपन पैदा करती हैं। यह कंपन वायुमंडल में स्थित हानिकारक सूक्ष्म जीवों और विषाणुओं को नष्ट करता है। इसके साथ ही मंदिर की घंटी की आवाज वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है। चिकित्सा विज्ञान का मानना है कि घंटी की ध्वनि व्यक्ति के मन, मस्तिष्क और शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। इस ऊर्जा से बुद्धि प्रखर होती है।
मंदिर में घंटी बजाने का पौराणिक इतिहास
भारतीय संस्कृति में मंदिर के प्रवेश द्वार और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा है। पुराणों में ऐसा वर्णन है कि जब सृष्टि की रचना हुई थी तब जो आवाज गूंजी थी वह आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है।