लाइव हिंदी खबर :-लोग पहले दिन बप्पा की मूर्ति को घर लाते हैं और फिर श्रद्धा अनुसार एक, तीन, पांच या पूरे 10 दिन बाद 11वें दिन धूमधाम से विसर्जन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार गणेश महोत्सव कब मनाया गया था? किसने इसकी शुरुआत की थी?
पेशवा राज में गणेशोत्सव
10 दिन के गणेशोत्सव को महाराष्ट्र में सबसे अधिक उमंग के साथ मनाया जाता है। इसके पीछे कारण है कि इस महोत्सव की शुरुआत भी महाराष्ट्र से ही हुई थी। इतिहास के मुताबिक भारत में पेशवाओं के समय से ही गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। पेशवा बहुत ही धूमधाम से गणपति का स्वागत करते थे। जितने दिन गणेशोत्सव रहता उतने दिन इलाके में बेहद रौनक रहती।
कहते हैं कि सवाई माधवराव पेशवा के शासन से ही भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिन के गणेशोत्सव का आगाज किया जाता था। उनके शासन काल में पूना (तत्कालीन पुणे) के शनिवारवाड़ा महल में 10 दिन के महोत्सव का आयोजन किया जाता था। लेकिन बाद में अंग्रेजों ने जब पेशवाओं के राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया तो गणेशोत्सव की यह चमक फीकी पड़ने लगी।
लेकिन फिर भी गणेशोत्सव की इस परंपरा को कोई बंद नहीं करवा सका। मगर अंग्रेजों के शासनकाल में धीरे-धीरे हिन्दू राजाओं में भी फूट पड़ने लगी। हिन्दू भावनात्मक और धार्मिक रूप से भी एक दूसरे के दुश्मन बनने लगे। धर्म के प्रति भी लोगों में कड़वाहट पैदा होने लगी।
अंग्रेजी शासन में गणेशोत्सव
तब महान क्रांतिकारी लोकमान्य तिलक ने एक तरीकब निकाली। उन्होंने महाराष्ट्र में 10 दिन तक गणेश उत्सव आयोजन किए जाने के लिए कहा। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चुर्थी तिथि से अगले 10 दिन गणेश पूजन और फिर 11वें दिन गणेश विसर्जन किया। सन 1893 में पहली बार अंग्रेजी शासन में गणेशोत्सव मनाया गया। इसके बाद से ही आजतक गणेशोत्सव मनाया जाता है और अब महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश और विदेश में भी इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है।