प्रोसेस्ड फूड की अधिकता –
प्रोसेस्ड फूड जैसे कैचअप, ब्रेड और बटर आदि में प्रयोग होने वाले आर्टिफिशियल रंग और फ्लेवर एक तरह के कैमिकल होते हैं जो इन चीजों को लंबे समय तक प्रिजर्व रखते हैं। ये कार्सिनोजेनिक कंपाउंड कैमिकल हैं जो पेट, रक्त, पेन्क्रियाज व मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। साथ ही इन्हें तलने में प्रयोग होने वाले तेल को बार-बार गर्म करने से इसमें कार्सिनोजेनिक कंपाउंड अधिक बनते हैं जो शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाते हैं। अमरीकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अनुसार ज्यादा नमक व कलर वाली चीजें पेट के कैंसर का खतरा 10 फीसदी बढ़़ा देते हैं।

मांसाहार से बचें –
रेड मीट, फिश और चिकन को प्रोसेस्ड करने के लिए सोडियम नाइट्राइट और सोडियम नाइट्रेट कैमिकल प्रयोग किए जाते हैं जो पेट पर असर करते हैं। एक शोध के अनुसार जो लोग रेड व प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाते हैं उनमें आंतों व पेट के कैंसर ज्यादा सामने आते हैं। कुछ मामलों में मीट खाने से होने वाले कैंसर का कारण संक्रमित जानवर से प्राप्त मीट भी है। इस प्रकार का मांस स्वस्थ व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है जिससे उसमें आंतों, पेट और फूड पाइप के कैंसर होने की आशंका ज्यादा रहती है।

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शक्कर की मार –
ज्यादा वजन या मोटापा कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। मोटापे से हार्मोन लेवल बदलता है और इंसुलिन के कारण ब्रेस्ट व गर्भाशय के कैंसर की आशंका भी बढ़ती है। ज्यादा शक्कर या कार्बोहाइड्रेट डाइट से शरीर में सामान्य से ज्यादा कैलोरी पहुंचती है जो वजन व मोटापा बढ़ाती है। शक्कर केवल कुकीज, केक, सोडा, सॉफ्ट ड्रिंक्स या मिठाई में ही नहीं होती बल्कि पास्ता, सॉस, सलाद ड्रेसिंग और सब्जियों में भी होती है। इसलिए ऐसे पदार्थ खरीदते समय फूड लेबल पर ध्यान दें कि खाद्य पदार्थ में फ्रक्टोज, सुक्रोज, माल्टोस, ग्लूकोज, नैचुरल शुगर जैसे शहद आदि तो नहीं है।

चिप्स व स्नैक्स से परेशानी –
फ्राइड उत्पादों में एक्रीलेमाइड होता है जो इन खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान पर पकाने से बनता है। इन पदार्थों में दूसरा कैंसर कारक पदार्थ है ट्रांसफैट या ट्रांसफैटी एसिड। यह हाइड्रोजेनेशन के दौरान बनता है। ये पदार्थ न केवल हृदय संबंधी रोग व टाइप टू डायबिटीज का खतरा बढ़ाते हैं बल्कि इन्हें अधिक मात्रा में खाने से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। अधिक तापमान पर पकने की वजह से इन पदार्थों में पोषक तत्त्वों की भी कमी हो जाती है जिसकी वजह से ये सिर्फ शरीर को ट्रांसफैट और कैलोरी ही दे पाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों की वजह से होने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर प्रमुख है।

हर तरह से नुकसान पहुंचाती शराब –
अमरीकन कैंसर सोसायटी के अनुसार अधिक शराब पीने से मुंह, फेफड़े, ब्रेस्ट, आंतों व गले के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।

संतुलित आहार लें –
उपरोक्त सभी खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं। अपनी डाइट में हरी सब्जियों, मौसमी फलों और सूखे मेवों को शामिल करें। गर्मी के मौसम में छाछ/नींबू पानी और आमपना लें। भोजन में नमक की कम से कम मात्रा ही लें। एक स्वस्थ व्यक्ति10 से 15 दिनों में एक बार जंकफूड खा सकता है लेकिन किसी प्रकार का रोग है तो परहेज करना ही उचित होगा।