लाइव हिंदी खबर :-मंगल यानि ज्योतिष में पराक्रम का कारक ग्रह, वही जिसके कारक देव हैं श्रीराम भक्त हनुमान। सप्ताह के दिनों में इनका दिन मंगलवार माना गया है। वहीं मंगल जिसे हम भूमि पुत्र के नाम से भी जानते है।
यूं तो हिन्दू धर्म में सिन्दूर के महत्व से लगभग हर कोई परिचित नहीं है, एक ओर जहां शादी शुदा स्त्रियां इसका उपयोग अपनी मांग में करती हैं, वहीं पूजा-पाठ में भी सिन्दूर की ख़ास एहमियत है।
अधिकांश देवी-देवताओं को भी सिन्दूर का तिलक लगाया जाता है, वहीं 11वें रुद्रावतार हनुमान जी को तो सिन्दूर का चोला तक चढ़ाया जाता है। लेकिन इसके पीछे का कारण कई लोग नहीं जानते हैं, ऐसे में आज हम आपको इसके पीछे एक कारण जिसका वर्णन रामचरितमानस में है, बता रहे हैं…
पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक रामचरितमानस के अनुसार चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या आए, तो एक दिन हनुमान ने माता सीता को अपनी मांग में सिन्दूर लगाते देखा ।
उनके लिए ये कुछ अजब सी चीज़ थी तो उन्होंने माता सीता से सिन्दूर के बारे में पूछा। इस पर माता सीता ने कहा कि सिन्दूर लगाने से उन्हें श्री राम का स्नेह प्राप्त होगा और इस तरह ये सौभाग्य का प्रतीक है।
अब हनुमान तो ठहरे राम भक्त और ऊपर से भेलेनाथ के अवतार यानि अत्यंत भोले, तो उन्होंने अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लिया यह सोचकर कि यदि वे सिर्फ मांग नहीं बल्कि पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लेंगे, तो उन्हें भगवान् राम का ख़ूब प्रेम प्राप्त होगा और उनके स्वामी कि उम्र भी लम्बी होगी ।
ऐसा करने के बाद हनुमान इसी अवस्था में सभा में चले गए। श्री राम ने जब हनुमान को सिन्दूर से रंगा देखा तो उन्होंने हनुमान से इसका कारण पूछा। हनुमान ने भी बेझिझक कह दिया कि उन्होंने ये सिर्फ भगवान् राम का स्नेह प्राप्त करने के लिए किया था।
उस वक्त राम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने हनुमान को गले लगा लिया। बस तभी से हनुमान को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूरत को सिन्दूर से रंगा जाता है। इससे हनुमान का तेज और बढ़ जाता है और भक्तों में आस्था बढ़ जाती है ।
सिंदूर चढ़ाते वक्त करें इस मंत्र का उच्चारण…
पंडित शर्मा के अनुसार यदि आप भी श्री हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं, तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण करें। फिर मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।
मंत्र-
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।
जानकारों के अनुसार सामान्यतः हनुमान जी को सिंदूर का चोला तब चढ़ाया जाता है, जब हनुमानजी की कृपा प्राप्त करनी हो, कोई मान्नत की गई हो तो मंगलवार के दिन चोला चढ़ाया जाता है, वहीं यदि शनि महाराज की साढ़े साती, अढैया, दशा, अंतरदशा में कष्ट कम करने हों, तो शनिवार के दिन चोला चढ़ाया जाता है। चोला चढ़ाने की मान्यता इन्हीं दिनों की है, परंतु यदि कोई दूसरे दिनों में चढ़ाना चाहे तो इसके लिए निषेध नहीं है। चोले में चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चांदी या सोने का वर्क चढ़ाया जाता है।