केला में अमीनो एसिड टायरोसिन होता है जिसे हमारा शरीर टायरामाइन में बदल देता है। टायरामाइन माइग्रेन की समस्या को बढ़ाता है। इसके अलावा केला में स्टार्च होता है जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है। इसमें विटामिन बी6 भी होता है, जिसकी ज्यादा मात्रा तंत्रिका तंत्र के लिए हानिकारक होती है। अस्थमा के मरीजों को केला का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे सूजन, जलन और एलर्जी के साथ ही सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है।
यह भी हो सकती हैं समस्याएं
पोषण का असंतुलन
हमारे शरीर को संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। डाइट में ज्यादा केले होने पर दूसरी जरूरी चीजों को खाने की जगह नहीं बचती है और शरीर को आवश्यक संतुलित पोषण नहीं मिल पाता है।
वजन का बढऩा
हाई कैलोरी फूड होने की वजह से केले का अत्यधिक सेवन वजन बढ़ा सकता है। दो से ज्यादा केले के सेवन से 300 से ज्यादा कैलोरी प्राप्त करते हैं। ऐसे में अगर आप दिनभर में और कोई फल नहीं खा रहे हैं तो दो ज्यादा केला का सेवन नहीं करें।
नींद आना
केले में एक तरह का अमीनो एसिड, टिप्टोफन होता है जो आपको अच्छी नींद लेने में मदद करता है। लेकिन केले में मौजूद कार्बोहाइडे्रट अमीनो एसिड को मस्तिष्क तक पहुंचने से पहले ही ब्लॉक कर देते हैं। ऐसे में टिप्टोफन की बढ़ी मात्रा से सेरोटोनिन का निर्माण बढ़ जाता है जो नींद की प्रवृत्ति को बढ़ा देता है।
कब्ज
केले में फाइबर पेक्टिन भी होता है जो आंतों से पानी को खींचता है। ऐसे में भरपूर मात्रा में पानी नहीं पीने से कब्ज की समस्या बढ़ जाती है।
दांतों की समस्या
केले के ज्यादा सेवन से टूथ डिके सबसे ज्यादा होता है। इसके खाने से बनने वाला एसिड दांतों के इनेमल को खराब करने लगता है। इससे दांतों के क्षरण यानी टूथ डिके की समस्या होती है।