लाइव हिंदी खबर :- हमारे देश में लोग आध्यात्म को बहुत महत्व देते हैं। देवी—देवताओं को खुश करने के लिए उनके भक्त किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। कुछ हद तक तो ये सही है लेकिन कभी—कभी ये सीमा पार कर देती है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए या फिर मन्नत पूरा करने के चक्कर में लोग खुद को चोट पहुंचाने से भी नहीं झिझकते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही रीति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
इस रीति के अन्तर्गत लोग अपनी पीठ में लोहे की हुक घुसाकर करीब 40 फीट की ऊंचाई पर स्थित कोल्हू के चार चक्कर लगाते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं सरजामदा क्षेत्र जो कि जमशेदपुर से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जमशेदपुर के इस क्षेत्र में बसे ग्रामीण मन्नत पूरी हो जाने पर इस कठोर रीति का पालन करते हैं। करीब हजारों सालों से वो इस नियम को निभाते आ रहे हैं। बता दें प्रत्येक वर्ष यहां चड़क पूजा के बाद मेले का आयोजन किया जाता है।
चड़क पूजा में लोग शिव—पार्वती की आराधना करते हैं। पूजा में लोग भगवान से मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी हो जाने पर वो पीठ की चमड़ी में लोहे की कील धंसाकर 40 फीट की ऊंचाई पर स्थित कोल्हू के चार चक्कर लगाते हैं। इस दौरान ग्रामीणों के साथ पूरे शहर के लोग भी मौके पर उपस्थित रहते हैं। हालांकि यहां लोग अपनी मन्नत की बात किसी दूसरे से शेयर नहीं करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे अनिष्ट होता है।