ये हिन्दू परिवार 23 सालों से मुहर्रम का मातम मनाकर उठाता है ताजिया

ये हिन्दू परिवार 23 सालों से मुहर्रम का मातम मनाकर उठाता है ताजिया लाइव हिंदी खबर :-हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल डलमऊ क्षेत्र के पुजारी है। यहां पर दोनों ही धर्मों की दीवारें कुछ इस तरह से मजबूत है कि धर्म की कोई दीवार नहीं है। यहां पर दोनों ही धर्मों के लोग आपस में जुड‍़े हुए है। मां गंगा की तलहटी में बसे राजा डाल की नगरी हिंदू और मुस्लिम के एकता की मिसाल है। यहां पर एक धर्म के दोस्त को आर्थिक तंगी आई तो हिंदू धर्म के एक साथी जो कि पुजारी है उन्होंने पूरा खर्च उठा लिया। यहां पर हर साल मुस्लिम साथी मुहर्रम में ताजिया रखता था, लेकिन एक बार आर्थिक तंगी आई तो धार्मिक कार्य नहीं किया। ऐसे में यहां पर उनके हिंदू दोस्त ने यह परम्परा निभाना शुरू कर दिया। यह परम्परा अब दूसरी पीढ़ी में भी चली आ रही है। नौंवी की ताजिया को उठाकर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बनाए हुए है।

डलमऊ में गंगा पुजारी पुकुन शुक्ला हर वर्ष नौंवी के दिन ताजिया उठाते हैं। यहीं नहीं उनका पूरा परिवार मातम भी मनाता है। उन्होंने बताया कि उनके पिता धुन्नू शुक्ल के मित्र कलामत अली नौवीं की ताजिया उठाते थे। 23 वर्ष पहले उन्होंने पिताजी से ताजिया उठाने में असमर्थता जताई। इस पर धुन्नू शुक्ल ने ताजिया उठाने में आने वाले खर्च को वहन करने की बात कह अपने मित्र का हौसला बढ़ाया। तभी से यह रस्म निभाई जा रही है।

 पिता के द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को पुकुन शुक्ल भी पूरी शिद्दत से निभा रहे हैं। अब अपने पिता के उस काम की सारी रस्म को वह उठाते चले आ रहे हैं और हर वर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे बहुत खुशी होती है कि आखिर हम ऐसा काम कर रहे हैं। आज जहां आपस में धर्म को बांटने की बात की जाती है ऐसे में हमारे पिता जी की ओर से शुरू की गई यह रस्म मुझे एकता की मजबूती देती है।

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