लाइव हिंदी खबर :- जानवरों और पशु-पक्षियों से इंसान का नाता हमेशा से रहा है। आज इनसे जुड़ी एक और खूबसूरत रिश्ते के बारे में हम आपको बताएंगे। हम यहां बात कर रहे हैं हनीगाइड के बारे में, जो जंगलों में इंसान को मधुमक्खी के छत्ते के बारे में बताते हैं। साल 1980 के दशक में केन्या के एक मशहूर इकोलॉजिस्ट ने इस बारे में पता लगाया था। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और के पटाउन यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया कि हनीगाइड्स बड़े ही सटीक ढ़ंग से इंसान को शहद के ठिकाने के बारे में बताती है।
इस शोध में इस बात का खुलासा किया गया कि उत्तरी मोजाम्बिक में रहने वाले याओ समुदाय के लोग शहद का पता लगाने के लिए हनीगाइड का ही सहारा लेते हैं। सबसे पहले ये लोग चिडिय़ा को एक खास आवाज में बुलाते हैं। हैरान करने वाली तो ये है कि ये आवाज सुनकर हनीगाइड उन तक आ भी जाती है।
इसके बाद लोग इसके पीछे-पीछे चलने लगते हैं। मधुमक्खी के छत्ते के पास जाते ही हनीगाइड एक अजीब आवाज निकालती है जिससे लोगों को पता चल जाता है कि वो शहद के ठिकाने तक पहुंच गए हैं। सिर्फ आवाज ही नहीं बल्कि हनीगाइड उड़ान भरकर उन्हें छत्ता भी दिखाती है। इसके बाद याओ समुदाय के लोग छत्ते से शहद निकालने के काम में लग जाते हैं और हनीगाइड पास बैठकर सब देखती रहती है। पूरा शहद इकट्ठा कर लेने के बाद लोग उस छत्ते को हनीगाइड के हवाले कर देते हैं।
इससे दो काम एक साथ बन जाते हैं। एक तो चिडिय़ा की मदद से लोगों को शहद मिल जाता है और दूसरा लोगों की मदद से चिडिय़ा को छत्ता। बता दें हनीगाइड इन छत्तों से लार्वा, वैक्स और अंडे खाती है। यानि कि एक-दूसरे की मदद कर दोनों अपने दावत का इंतजाम कर लेते हैं।