लाइव हिंदी खबर :-शनिवार को सूर्य पुत्र शनि देव का दिन माना जाता है। इस दिन लोग शनि देव की पूजा व अर्चना बड़ी ही आस्था के साथ करते हैं। कोई शनि को प्रसन्न करने के लिए, तो कोई उनकी कुदृष्टि से बचने के लिए उनके मंदिर जाता है। शास्त्रों के अनुसार शनि देव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जानी चाहिए। शनि मंदिर के पुजारी का मानना है कि शनि देव के दर्शन मात्र से ही वे प्रसन्न नहीं होते हैं।
उन्हें प्रसन्न करने के लिए आपको उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। अगर आप बिना मंत्र के उनकी उपसना या पूजा पाठ करते हैं तो आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी। शनि की साढ़ेसाती से बचने से लेकर उनकी प्रार्थना करने तक के लिए अलग-अलग मंत्र ग्रंथों में मौजूद हैं जिनका जाप करने मात्र से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं। जानें वे मंत्र जिससे शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है:
साढ़ेसाती से बचने के लिए
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
बुरे कर्मों और साढ़ेसाती के परकोप से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है।
कहते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। आप शैतानी सोच से बचना चाहते हैं या आने वाले समय को सुखद बनाना चाहते हैं तो आपको प्रत्येक शनिवार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
सूर्यास्त के बाद शनि देव की होती है पूजा
सूर्यास्त के बाद शनि मंदिरों में आस्था का मेला लगना शुरू हो जाता है। शनि देव की मूर्ति अधिकतर पीपल पेड़ के नीचे स्थापित होती है। लोग अपनी आस्था के अनुसार शनि देव को तेल चढ़ाते हैं और पीपल पर धागा बांधते हैं।