लाइव हिंदी खबर :- अगहन मास भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय है। इसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है। कष्ण भक्तों के लिये यह मास बहुत मायने रखता है। इस दौरान स्नान, पूजा,-पाठ और दान का बहुत अधिक महत्व है। मान्यताओं के अनुसार अगहन मास में सूर्य पूजा, नदी में स्नान करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन इस एक अगहन मास में सूर्य पूजा का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए जानते हैं दोनों महत्व….
सुबह जल्दी उठकर सूर्य को चढ़ाएं जल
शास्त्रों के अनुसार अगहन मास में सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेवता को जल अर्पित किया जाता है। वहीं सूर्योदय के समय नदी में स्नान भी किया जाता है। अगहन मास में शंख पूजा और श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। व्रत उपवास के साथ इस माह में दान-पुण्य करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
धार्मिक महत्व
मान्यताओं के अनुसार अगहन मास में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और सूर्य देव को जल चढ़ाने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं। अगहन मास में ठंड का समय होता है और इस समय शांति का माहौल होता है। इसलिये सुबह-सुबह पूजा-पाठ में ज्यादा मन लगता है। सूर्य इस समय वृश्चिक राशि में होते हैं और वृश्चिक राशि में सूर्य आने से वातावरण में धार्मिकता बढ़ जाती है। इसलिये इस मास में दान-धर्म, पूजा, आराधना की जाती है।
वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो अगहन मास वातावरण के अनुकूल मास माना जाता है। इस मास को रोग से मुक्ति दिलाने वाला मास माना जात है। सूर्य किरणों के साथ सभी रोगाणु खत्म हो जाते हैं और जो कि लोगों के स्वास्थ्य के लिये अच्छा रहता है।
इस मौसम में साफ हवा, सूर्य की किरणें मानव जीवन में लिये बहुत ही फायदेमंद होती है। इसलिये अगहन मास में सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने का महत्व बताया जाता है। सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा मिलती है जो कि शरीर में स्फूर्ति लाती है और सूर्योदय के समय मिलने वाली सूर्य की किरणें शारीरिक बिमारियों को खत्म कर देती है।