लाइव हिंदी खबर :- चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन अनंग त्रयोदशी का व्रत रखा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस व्रत में भगवान शिव के साथ उनके भक्त कामदेव एवं उनकी पत्नी रति देवी की भी पूजा की जाती है। यह शक्ति, भक्ति एवं प्रेम का व्रत है। इस व्रत का प्रारम्भ कामदेव और रति ने किया था। अनंग त्रयोदशी व्रत की कथा सुन्दर और अलौकिक है।
अनंग त्रयोदशी व्रत विधि
अनंग त्रयोदशी के दिन व्रत रखने वाले को स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शंकर के साथ-साथ माता पार्वती एवं कामदेव और रति की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा के पश्चात ब्राह्मण को भोजन करवाकर उन्हें यथासंभव दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद ग्रहण करें। संध्या के समय पुन: इन सभी देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
अनंग त्रयोदशी व्रत कथा
सती द्वारा दक्ष प्रजापति के यज्ञ में कूदकर आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव विचलित हो उठे और सती के शव को कंधे पर लेकर विचरण करने लगे। शिव के हृदय में उत्पन्न सती के मोह को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शव को अपने चक्र से खंण्डित कर दिया। इसके बाद शिव का मोह समाप्त हो गया और वह योग साधना में लीन हो गए।
अनंग त्रयोदशी की एक अन्य व्रत कथा
दूसरी ओर राक्षस राज तारकासुर का अत्याचार बढ़ता जा रहा था। उसने देवलोक पर आक्रमण करके देवराज इन्द्र को पराजित कर दिया। देवतागण अपनी दुर्दशा से काफी दु:खी हुए और ब्रह्माजी के पास अपनी समस्या लेकर उपस्थित हुए। ब्रह्माजी ने देवताओं की समस्या को सुनकर काफी विचार किया और कहा कि तारकासुर का अंत केवल शिव पुत्र कर सकता है।
इस उत्तर को सुनकर देवतागण चिंतित हो उठे क्योंकि, शिव सती के वियोग में साधना में ध्यानमग्न थे। शिव को साधना से जगाना फिर से उनका विवाह कराना देवताओं को असंभव कार्य लग रहा था। देवताओं की परेशानी को दूर करने के लिए कामदेव ने शिव को समाधि से जगाने का आश्वासन दिया। कामदेव, रति के साथ मिलकर शिव को समाधि से जगाने में सफल हो गया किन्तु क्रोध में आकर शिव ने कामदेव पर अपना तीसरा नेत्र खोल दिया जिससे कामदेव जलकर भष्म हो गया।
कामदेव के भष्म हो जाने पर रति विलाप करने लगी तब देवताओं ने शिव से सब हाल कह सुनाया। देवताओं की बात सुनकर शिवजी को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और उसने रति से कहा कि कामदेव अभी भी जीवित हैं किन्तु वह अनंग हैं अर्थात वह बिना शरीर के हैं। सशरीर कामदेव को पाने के लिए तुम्हें त्रेतायुग तक प्रतीक्षा करनी होगी। इस युग में जब विष्णु कृष्ण रूप में अवतार लेंगे तब उनके पुत्र प्रद्युम्न के रूप में कामदेव तुम्हें सशरीर प्राप्त होंगे।
अनंग त्रयोदशी का महात्म्य
रति को पद्युम्न के रूप में पुन: कामदेव मिलने की बात कहने के बाद शिव ने रति से यह भी कहा कि अनंग त्रयोदशी के दिन जो भक्त विधि पूर्वक व्रत और पूजन करेगा उनका दाम्पत्य जीवन खुशहाल होगा। उनकी गृहस्थी में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहेगी। इस व्रत को करने से संतान सुख भी प्राप्त होता है।