क्या आप जानते है बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा? जानें ये पौराणिक कथा

Basant Panchami 2021 importance of Saraswati Puja on Basant Panchami-Basant  Panchami 2021: Basant Panchami 2021: बसंत पंचमी पर होती है सरस्वती पूजा,  जानें कौन सी मिठाइयों का लगता है भोग - India लाइव हिंदी खबर :- पुराणों के अनुसार मां सरस्वती का प्राकट्य बसंत पंचमी के दिन हुआ था। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। विद्या और कला जननी कही जाने वाली मां सरस्वती की लोग पूजा अर्चना करते हैं। इसके अलावा भारत के अलग-अलग जगहों पर मां सरस्वती की पूजा, वंदना और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि लोगों को मां सरस्वती विद्या और कला में निपुण बनाती हैं। इसके अलावा यह दिन भारत के 6 मौसमों में से एक ‘बसंत ऋतु’ के आगमन की खुशी में भी मनाया जाता है।

क्या है पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की तो एक दिन वे जगह को देखने के लिए घूमने निकले। जगत भ्रमण के दौरान उन्होंने देखा कि लोग एकदम शांत भाव वाले दिखाई दे रहे थे। चारों तरफ अजीब शांति ने जगत को लील लिया हो। यह देखकर ब्रह्मा जी को सृष्टि में कुछ कमी महसूस हुई। वह कुछ देर तक सोच में पड़े रहे फिर कमंडल में से जल लेकर छिड़का तो एक महान ज्योतिपुंज सी एक देवी प्रकट होकर खड़ी हो गई।

उनके हाथ में वीणा थी। वह महादेवी सरस्वती थीं उन्हें देखकर ब्रह्मा जी ने कहा तुम इस सृष्टि को देख रही हो यह सब चल फिर तो रहे हैं पर इनमें परस्पर संवाद करने की शक्ति नहीं है। महादेवी सरस्वती ने कहा तो मुझे क्या आज्ञा है? ब्रह्मा जी ने कहा देवी तुम इन लोगों को वीणा के माध्यम से वाणी प्रदान करो (यहां ध्यान देने योग्य है कि वीणा और वाणी में यदि मात्रा को बदल दिया जाए तो भी न एक अक्षर घटेगा न बढ़ेगा)और संसार में व्याप्त इस मूकता को दूर करो। तब जाकर सरसस्वती मां ने वीणा बजाकर और विद्या देकर उन्हें गुणवान बनाया। तब से उन्हें कला और शिक्षा की देवी कहा गया।

कला और विद्या की देवी मां सरस्वती की चार भुजाए हैं। मां के दो हाथ में वीणा, एक हाथ में माला और एक हाथ में वेद है, देवी सफेद कमल के फूल पर विराजति होती हैं। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है।  इसलिये बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है। दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है।

शुरू हो जाती है बसंत ऋतु की शुरुआत

हिंदू मान्यता के अनुसार बसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव भी माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है। बसंत में पीले रंग का काफी महत्व माना जाता है। इस दिन लोग पीले कपड़े पहन कर इस ऋतु के आगमन के लिए लोक गीत व नृत्य करते हैं।

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