लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :- जन्म के तुरंत बाद शिशु का पाचनतंत्र कमजोर होता है। ऐसे में कुदरती रूप से बनने वाले गाढ़ा व पीला दूध (कॉलेस्ट्रम) लाभदायक है। प्रसव के बाद पहले एक घंटे में पिलाए गए इस दूध में एंटीबॉडीज और इम्यूनोग्लोबिंस तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं जो शिशु को संक्रमण और विभिन्न रोगों से बचाकर उसके नाक, गले व पाचनतंत्र को सुरक्षित रखता है। इससे शिशु और मां के बीच की बॉन्डिंग बढ़ती है। जानें कैसे बढ़ाएं दूध की मात्रा –

इन चीजो को खाने तो बढ़ेगा ब्रेस्टमिल्क, जाने अभी आप

मां-शिशु का बेहतर स्वास्थ्य :
नियमित स्तनपान से गर्भावस्था के दौरान बढ़े गर्भाशय व पेट के आकार को पूर्व की स्थिति में ला सकते हैं। वजन नियंत्रित होने के साथ महिला का कई प्रकार के कैंसर (ओवेरियन, बे्रस्ट व अन्य) से बचाव होता है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने से डिप्रेशन की आशंका कम होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दो साल तक ब्रेस्टफीड करा सकते हैं।

यदि हो रही हो देरी…
तीन दिन के कोलेस्ट्रम बाद स्तन से स्तन्यस्त्राव होना सामान्य है। कई बार माता यदि अत्यधिक तनाव से गुजर रही हो या डायबिटीज, थायरॉइड व अन्य बीमारी से पीडि़त हो या प्रसव बाद ब्लीडिंग अधिक हुई हो तो दूध जल्दी से नहीं उतर पाता। महिला यदि किसी प्रकार की दवा ले रही है तो भी दूध की पर्याप्त मात्रा नहीं आती।

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ये भी दिक्कतें
* कई बार निप्पल से संबंधित समस्याएं जैसे इंवटेड निप्पल यानी निप्पल का अंदर की ओर धंसा होना, इनमें जख्म होने के अलावा दरार होने की परिस्थिति में शिशु के स्तनपान करना और माता के लिए स्तनपान करना कष्टदायक हो जाता है।
* दूग्धनलिकाओं में ब्लॉकेज होने से दूध रुक जाता है जिससे स्तनों पर या आसपास सूजन आने लगती है। समस्या को नजरअंदाज करने से इनमें इंफेक्शन हो जाता है जो पकाव भी ले लेता है।

इन चीजो को खाने तो बढ़ेगा ब्रेस्टमिल्क, जाने अभी आपऐसे बढ़ाएं दूध की मात्रा
शतावरी, मेथी, दालचीनी, जीरा, लहसुन, अदरक आदि खाएं। दलिया, घी, शालि चावल दूध निर्माण में वृद्धि करते हैं। अनार का रस, दही, नारियल पानी के अलावा जीवन्ती व कुश जैसे औषधियां उपयोगी हैं। महिला को दूध व दूध से बने उत्पाद ज्यादा से ज्यादा खाने चाहिए। यदि महिला कमजोर है और वजन भी कम है उसे नियमित रूप से डॉक्टरी सलाह पर अश्वगंधा लेना चाहिए।
एक्सपर्ट : डॉ. कामिनी धीमान, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, नई दिल्ली