कॅरियर से जुड़ी समस्याओं का करता है निदान, इस शहर में मौजूद है 500 साल पुराना मंदिर

लाइव हिंदी खबर :-भारत देश में यूं तो अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन मंदिरों में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां आज भी चमत्कार देखने को मिल जाते हैं। जहां कुछ मंदिर ऐसे हैं जो महामारी आने से पहले ही संकेत देने शुरु कर देते हैं, तो कुछ लोगों की मनोकामना को तुरंत पूरा कर देते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसके संबंध में मान्यता है कि यह न केवल कॅरियर से जुड़ी समस्याओं का निदान करता है, बल्कि वीजा मंजूरी की समस्या को भी दूर करता है।

जानकारों का कहना है कि आज के दौर में तकरीबन हर मनुष्य अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। लोग आर्थिक, सामाजिक, मानसिक कई तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ईश्वर की शरण में जाते हैं।

वहीं भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां लोग भगवान से एक अनोखी अरदास लगाने जाते हैं। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आकर दर्शन करने से भगवान बालाजी भक्तों की वीजा मिलने की अड़चन दूर करते हैं। अधिकांश लोग जानते हैं कि विदेश यात्रा के लिए व्यक्ति को पासपोर्ट और वीजा की काफी आवश्यकता होती है। वीजा मिलना एक कठिन प्रक्रिया होती है। लोगों को अलग-अलग देशों के वीजा पाने में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों की आस्था है कि इस मंदिर के दर्शनमात्र से वीजा मंजूरी में आ रही समस्या हल हो जाती हैं।

दरअसल आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद से 40 किलोमीटर की दूरी पर उस्मान सागर झील के किनारे चिल्कुर बालाजी के नाम से स्थित मंदिर की कहानी काफी अनोखी है। यह मंदिर वर्तमान में नए राज्य तेलंगाना के अंतर्गत आता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार यह मंंदिर 500 वर्ष पुराना है। वैसे तो लोग यहां वीजा पाने के लिए बालाजी से प्रार्थना करते हैं, लेकिन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि लोग अपने करियर से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए भी यहां आते हैं। यह मंदिर अपनी हस्तकला और कारीगरी के लिए भी जाना जाता है। मंदिर की कला आकर्षित करती है।

मंदिर की कथा…
मान्यता है कि यहां भगवान वेंकटेश बालाजी के एक भक्त का निवास स्थान था, वह प्रतिदिन पैदल चलकर कोसों दूर पैदल यात्रा करके बालाजी मंदिर दर्शन के लिए आते थे। एक बार उनकी तबियत खराब होने के चलते लंबी यात्रा करके दर्शन करने में असमर्थ थे। अपने भक्त को ऐसे हाल में देखकर एक रात भगवान बालाजी भक्त के सपने में आए।

बालाजी ने स्वप्न में भक्त से कहा कि ‘तुम इस अवस्था में मेरे दर्शन के लिए इतनी दूर नहीं आ सकते हो। तुम परेशान मत हो, मैं तो यही तुम्हारे पास वाले जंगल में ही रहता हूं। वहां आकर मेरे दर्शन कर लेना।’ अगली सुबह वह भक्त बालाजी भगवान की बताई हुई जगह पर गया तो जहां उसने वहां उभरी हुई भूमि देखी, उस जमीन की खुदाई करने पर वहां से रक्त निकलने लगा और तभी एक आकाशवाणी हुई कि इस जगह को दूध से नहलाकर वहां एक मूर्ति स्थापित कर दी जाए। कहा जाता है कि दुग्धाभिषेक करते समय वहां श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां भी अवतरित हुईं थी और बाद में तीनों मूर्तियों को वहीं स्थापित करके मंदिर का निर्माण करवा दिया गया।

मान्यता के अनुसार, मंदिर में सिर्फ वीजा ही नहीं लोग यहां नौकरी की मन्‍नत भी मांगते हैं। नौकरी पाने के इच्छुक लोगों की मनोकामना भी जल्दी पूरी होती है। प्राचीन काल से ही लोग इस मंदिर पर आकर अच्छी जॉब के लिए यहां प्रार्थना करने आते हैं। कहा जाता है कि सर्वप्रथम बालाजी मंदिर की 11 परिक्रमा करके मन्नत मांगी जाती है और जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो भक्त यहां आकर 108 बार परिक्रमा करते है।

हवाई जहाज चढ़ाकर मांगते हैं मन्नत…
यहां पर लोग हवाई जहाज चढ़ाकर भी मन्नत मांगते है, ऐसी मान्यता है कि हवाई जहाज चढ़ाने से विदेश जाने के लिए वीजा जल्दी मिल जाता है। इसलिए बड़ी संख्या में यहां लोग भगवान को कागज या खिलौने वाला हवाई जहाज चढ़ाते हैं। यह मंदिर वीजा टेंपल के नाम से विख्यात हो चुका है।

नहीं चढ़ता है चढ़ावा
इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में कोई दान नहीं दिया जाता है। इसके अलावा यहां मंदिर में वीआईपी दर्शन का भी कोई प्रावधान नहीं है। मंदिर में कोई दानपेटी नहीं है। यह मंदिर छात्रों के मध्य भी काफी लोकप्रिय हैं। जो छात्र विदेश में आगे की पढ़ाई की इच्छा रखते हैं उन्हें यहां दर्शन करने से लाभ होता है। जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी होती है। मंदिर की वेबसाइट पर भी कई लोग दावा करते हैं कि किस तरह यहां दर्शन करने के बाद उनका वीजा जल्द ही मंजूर हुआ है।

इस तरह लोगों की आस्था इस मंदिर पर बहुत अधिक है। हर सप्ताह यहां दूर-दूर से लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। यहां आने वाले भक्तजन मानते हैं कि बालाजी भगवान की कृपा से उनका विदेश में नौकरी या शिक्षा का सपना शीघ्र पूरा होता है। ‘वीजा भगवान’ का आर्शीवाद लेने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। इस मंदिर में दान-दक्षिणा सख्त रूप से मना है।

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