लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :- बाहर का खाना हमें भले ही स्वादिष्ट लगता हो लेकिन इस खाने से शरीर को पोषण नहीं मिलता। बाहर के खाने में तेज मिर्च-मसाला, तेल- चिकनाई का इस्तेमाल किया जाता है जिस कारण इसको खाने से शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। नतीजतन टाइप-2 डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है। एक शोध में पाया गया कि जो लोग हफ्ते में 5-7 बार घर का बना खाना खाते हैं, उनमें हफ्ते में दो या उससे कम बार खाना खाने वालों के मुकाबले मधुमेह का खतरा कम होता है।
तर्क : डायबिटोलॉजिस्ट के अनुसार बाहर का खाना हाई कैलोरी और ऑयलयुक्त होता है। इस अतिरिक्त कैलोरी और चिकनाई को पाचन तंत्र व पैन्क्रियाज इस्तेमाल नहीं कर पाते जिस वजह से इन अंग पर दबाव बढ़ जाता है। यह प्रेशर धीरे-धीरे ब्लड शुगर को बढ़ाकर डायबिटीज की वजह बनता है।
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बिना छिलके वाली उड़द की दाल कब्ज करती है इसलिए इन्हें दिन के समय खाएं या इनके स्थान पर छिलके वाली दालों का प्रयोग कर सकते हैं।
जब हम लोहे के बर्तन में खाना बनाते हैं तो इसके अंश शरीर में पहुंचते हैं जो रक्तमें हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाते हैं व एनीमिया जैसी समस्या दूर होती है।
शुगर नियंत्रित रखने के लिए हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाते रहें। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रहता है जिससे एनर्जी मिलती रहती है