नियमित खाने से नहीं होती दिल की बीमारी
लजीज पकवानों में गिनी जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के नियमित उपयोग से दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। जो हार्ट पेशेंट इस का उपयोग करते हैं उन्हें भी फायदा होता है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, लेकिन इसे हिंदी में स्पंज मशरूम कहा जाता है।

बाज़ार में 25 हज़ार से 30 हज़ार रुपये किलो में बिकती है ये उत्तराखंड की  प्राकृतिक सब्जी - newsdeskस्थानीय लोग जंगल में डाल लेते हैं डेरा
प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी फरवरी से लेकर अप्रैल के बीच मिलती है। बड़ी-बड़ी कंपनियां और होटल इसे हाथोहाथ खरीद लेते हैं। इस कारण इन इलाकों में रहने वाले लोग सीजन के समय जंगलों में ही डेरा डालकर गुच्छी इकट्ठा करते हैं। इन लोगों से गुच्छी बड़ी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के हिसाब खरीद लेती हैं, जबकि बाजार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो है।

विदेशों में अच्छी मांग
गुच्छी की देश ही नहीं विदेशों में भी खासी मांग है। अमरीका, यूरोप, फ्रांस, इटली व स्विट्जरलैंड के लोग कुल्लू की गुच्छी को खूब पसंद करते हैं। इसमें विटामिन-बी और डी के अलावा सी और के प्रचुर मात्रा में होता है।