क्या आप जानते है ईटिंग डिसऑर्डर से हाे सकती है मां बनने में दिक्कत, अभी जाने

लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :-  नियमित समय पर खाना न खाना लड़कियों के लिए एनोरेक्सिया ( Anorexia ) का कारण बन सकता है। ईटिंग डिसॉर्डर जिसमें एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया नर्वोसा और बिंज ईटिंग डिसॉर्डर शामिल हैं। ये सब साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर होते हैं इससे ईटिंग बिहेवियर प्रभावित होता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा का असर 100 में एक किशोरी में देखा जाता है। एनोरेक्सिया की मरीज का वजन सामान्य से कम (आदर्श सीमा से आमतौर पर 15 प्रतिशत तक कम) होता है। यह समस्या अक्सर किशोरावस्था से वयस्कता के बीच के काल में देखने में आती है। घंटों तक एरोबिक एक्सरसाइज भी किशोरियों में एनोरेक्सिया का कारण बन सकती है। इसकी पहचान के लिए बच्चों की खानपान की आदतों पर नजर रखनी चाहिए।

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असामान्य आदतें भी
एक विकृत बॉडी इमेज, समय पर खाना न खाना, खानपान की असामान्य आदतें ( जैसे कि एक बार में सैकड़ो कैलोरी खा लेना अथवा कुछ भी नहीं खाना, बार-बार वजन देखना, अनिद्रा, कब्ज, त्वचा पर चकत्ते अथवा सूखापन, दांतों में कैविटी, दांतों के इनामल उतरना, बाल झड़ना और दिनभर अधिक व्यायाम करना।

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इलाज में लापरवाही न करें
ईटिंग डिसॉर्डर लगे तो इसका इलाज करवाना चाहिए। इसमें वजन कम होने के साथ लड़कियों की माहवारी भी गड़बड़ा सकती है। आगे चलकर प्रजनन संबंधी समस्या हो सकती है।

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